नक़ाबों की न कोई बात करे मेरे शहर में dard shayari,

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नक़ाबों की न कोई बात करे मेरे शहर में dard shayari,
नक़ाबों की न कोई बात करे मेरे शहर में dard shayari,

नक़ाबों की न कोई बात करे मेरे शहर में dard shayari,

नक़ाबों की न कोई बात करे मेरे शहर में ,

चेहरों पर गज़ब का बर्क़ होता है ।

 

यूँ तो नहीं की साहेब को मोहब्बत ही नहीं ,

हम ख़्वामख़्वाह झरोखों पर नज़र रख के सोते हैं ।

 

यूँ नहीं की तेरी यादें नहीं आती ,

बस दिन दोपहर सुबह ओ शाम हम रोया नहीं करते ।

 

रंग बिरंगी तितलियों में जब ख़ुदा रंग भरता होगा ,

ग़ोया तब एक बार ज़रूर मिजाज़ ए यार याद करता होगा ।

 

सर्द रातों में मुँह उठाये चली आती हैं ,

अपनी यादों से कह दो कोई और दरवाज़ा देखें ।

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बीते लम्हों की यादें सफक सोने नहीं देती ,

कभी रातों में जलती हैं कभी बातों में जगती हैं ।

 

अमूमन ही ख्यालों में चले आते हो ,

या अब भी मर के साथ निभाने का कोई वादा है ।

 

तर्क़ ओ ताल्लुक़ में भी बर्बाद न था ,

गोया दिल को जितना तेरी यादें तबाह करती हैं

 

गुड़ सी शहद सी बातें तेरी ,

मैं बातों बातों में चाँद तारों को काता रात भर

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तुम तो बस चाँद तारों की बात करती हो ,

हम हर रात चाँद तारों को नज़र करते हैं ।

 

दो चार मसीहा और बनाओ दानिश ,

ख़ुदा के कारिंदों ने गरीब बुतो को भी बक्शा नहीं

 

मैला कुचैला न देख ख़ुदा हूँ मैं ,

बस चंद रोज़ पहले फाँसी पर लटका हूँ मैं ।

 

चाँद तारों से ही ग़र रातें हसीं होती ,

लोग हिज़्र की रातों मेंग़मगीन होते ।

 

शायर ही शायरी की बात करता है ,

जाम में डाल कर चाँद तारे क्या सारा आसमान नचा डालता है

 

शहर के चौराहों पर अलाव जलते नहीं ,

सियासी चिताओं की लकड़ियाँ भी छान जाते हैं ।

 

ज़ुम्मे की रात है दीदार ए यार न हो ,

गोया बादलों की ओट से आशिक़ चाँद तारे तरास लेते हैं

 

उम्र ए दराज़ पर तबीयत ए नासाज़ ,

ग़ालिब की ग़ज़ल ने तो मुर्दों को भी नचाया है ।

pix taken by google