नक़्शा तरमीम करके यहीं पर घर बसा लो 2line attitude shayri,
नक़्शा तरमीम करके यहीं पर घर बसा लो ,
आये दिन की मेहमान नवाज़ी से कितनो को अजमाओगे ।
चाक सीने में असर करते हैं ,
अक्सर दिलों के मेहमान ही अरमानो का क़त्ल किया करते हैं ।
दिन के उजालों में जिनसे माँदें छोड़ी नहीं जाती ,
वो अक्सर रात के अंधेरों में मेहमान बना करते हैं ।
बनके मेहमान करोगे रोशन ए फानूस या बस ,
जल के जिगर में आशियाना भी गुल ए गुलज़ार करोगे ।
एक तो सीधे मुह बोले नहीं ,
दूजा अरबी फ़ारसी में इश्क़ फरमाये ।
अब तो गाँव में भी लोग हँस के गले मिलते नहीं ,
सड़कों के साथ लोगों के दिल भी पक्के हो गए हों जैसे ।
जो थे क़ाफ़िर उनके हुक्के पानी बंद हो गए ,
गाँव तो रवायतों की सूली चढ़ गए जैसे ।
दिल की पगडंडियों में घिर गया ,
गाँव तो बस गाँव में ही रह गया ।
लख़्त ए जिगर सा अजीज़ नज़र होता है नज़ीर ,
मोहब्बत में सीधे साधे तोहफे क़बूले नहीं जाते ।
हसीं चेहरों की दिल ए आशनाई ने ,
गम ए उल्फ़त में दिल को मरीज़ खाना बना दिया ।
सलीके से रहते तो और रह जाते ,
बड़ी बदसलूकी में मेहमान बेघर बार हुए ।
कुछ तो नज़रों की तपिश थी कुछ तो बातों की चुभन ,
जाओ दिल की मेहमान नवाज़ी से हमने तुम्हे आज़ाद किया ।
ये दिल है कोई सराय नहीं ,
बिन बुलाये मेहमानों से भाड़ा वसूलना हमें भी आता है ।
ता उम्र शाद ओ ग़म का सामान खरीदा,
बे फ़िक्र मेरी चिता जली धू धू करके ।
जश्न एक रात का है महफिलें सजाओ दोस्तों ,
इस रात की सेहर जाने किस ठौर मिले ।
जान रख दी है तेरे कूचे में ऐ ज़ालिम ,
तू दिल का मेहमान समझ या दरकिनार में रख ।
इतनी लज़्ज़त तो न थी चश्म ए हरम के पानी में ,
जब से तू इस दिल का मेहमान बना गम को पीने में लुत्फ़ आता है ।
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