नफरतों में चले खंज़र गयी बात कहो quotes in hindi ,
नफरतों में चले खंज़र गयी बात कहो ,
आशिक़ों के शहर में इश्क़ का तह ए दिल से एहतेराम हुआ है ।
ज़रूरी नहीं की हर बार दर ओ दीवार पर तहरीर ए मोहब्बत ही लिखी लिखी जाये,
फिर मंज़िल ए मुसाफिर को गुमराह किया जाये ।
ख़याल ए सुख़न और ग़ालिब की ग़ज़लें ,
हाँथ में ज़ाम उठा और इश्क़ से तौबा कर ली ।
यूँ तो हाल ए दिल बयानी में सबके ही लुत्फ़ आता है ,
गोया ग़ालिब के सुख़नवर की मियाँ बात ही अलग है ।
मुर्दों पर मीनारें शहरी सियासी दस्तूर है ग़ालिब .
क्यों ऐसा न करें हम भी अपनी मज़ारें खुद ही बनवा लें ।
हमने इश्क़ को ख़ुदा समझा ,
गोया इश्क़ ने सनम को कर दिया ग़ालिब ।
देख कर बुत ओ मुजस्सिम को भी ग़ज़ल होती है ,
मुमकिन नहीं ग़ालिब की खयाली में बस कोई दिल ए नासाद करें ।
इश्क़ और ग़ालिब सा तर्क़ ओ ताल्लुक़ ओ ख़यालात रहा ,
मैं और मेरे सुख़नवर का शब ए बज़्म तक इत्तेफ़ाक़ रहा ।
दिल के अरमानों का ग़र खू ए क़तल भी होता ,
हर रोज़ चलता मुक़दमा दिल ए अरमान सख्त तालों में ज़ब्त ही मिलता ।
तुझसे मोहब्बत करते करते,
खुद का क़ातिल सा बन गया हूँ मैं ।
कितने गिरेबां रोज़ नपता है क़ातिल ,
कोई न कोई फंदा तेरे गले के नाप का भी होगा ।
साबुत बचा न कोई सज़दे में झुकने वाला ,
ज़ौक़ ए सर कलमी हो तो तुम भी मोहब्बत कर लो ।
इश्क़ ने फ़ितरत से किसी आशिक़ को बख्शा ही नहीं ,
ग़र कोई इश्क़ की गलियों से बच के निकल जाये तो गफ़लत होगी ।
सर इल्ज़ाम नहीं लेता यहां क़ातिल कोई ,
क़ातिलों ने क़त्ल को वक़्त की फ़ितरत का नाम दे डाला ।
हलक़ पे ज़ाम आके अटका है ,
ज़बान पर मोहब्बत की प्यास अभी बाकी है ।
लख्त ए जिगर बाजू में रख के हिसाब करता हूँ ,
क़ातिलों के शहर में अपनी क़ातिल की तलाश करता हूँ ।
ग़ालिब तो बस बदनाम हुए मैकशी के वास्ते ,
हमने भी कई ज़ाम पिये उनकी नज़रों के रास्ते ।
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