नश्ल को वक़्त से हक़ मिलता नहीं shayari hq ,

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नश्ल को वक़्त से हक़ मिलता नहीं shayari hq ,
नश्ल को वक़्त से हक़ मिलता नहीं shayari hq ,

नश्ल को वक़्त से हक़ मिलता नहीं shayari hq ,

नश्ल को वक़्त से हक़ मिलता नहीं ,

आदम ए तर्क़ ओ ताल्लुक़ का इन्सानियत से तगादा कौन करे ।

 

इसके आगे कभी हक़ और इन्सानियत की बात करेंगे ,

आज इन्साफ की रात है बस इन्साफ करेंगे ।

bhoot pret ki sachi kahaniyan,

सूरत ए फ़ानी नज़र आती हैं आईने में खुद की,

ज़माने भर में लोग कहते हैं आदम ए क़िरदार शानदार लगता है ।

 

तुम हर रोज़ आईने में आदम ए सूरत बदलते हो ,

हम फ़स्ल ए गुल से चमन को संदल बनाते हैं

 

खिलता नहीं गुल बागों में जो फ़न रोज़ मिलता है ,

ये इल्म ए फ़ानी का कँवल कीचड में खिलता  है ।

 

तूफ़ानी ज़िन्दगी भी हर रोज़ नए तोहफे देती है ,

कभी गैरों को करती है दिल के क़रीब कभी अपनों को छीन लेती है

 

बड़ी सादा मिजाज़ी से क़त्ल करते हैं हुस्न वाले ,

फ़ानी से फ़ानी दिल भी यहाँ कमज़ोर पड़ता है ।

 

किस्से कितने चले फ़ानी ए जमाल खाने से,

कौन कैसे मरा बस ये पता न चला ।

 

मर जायेंगे आशिक़ इश्क़ करते करते ,

ये पर्दानशीनों की मोहब्बत दुश्मनो से ज़्यादा फ़ानी है

 

फ़ानी नज़रों के सरारे चिलमन भी जला जायेंगे ,

इश्क़ ए बारिश का मौसम है दिल कहाँ महफूज़ रखोगे ।

 

आजकल हरकतें ख़ुद की समझ आती नहीं ,

दिल ए नादाँ पर मौसम ए फ़ानी हावी हो जैसे ।

 

तन्हा चरागों का इन्साफ यहाँ कौन करे ,

जिसके हक़ में बस सारी सारी रात जलना हो

 

ख़ुद को लिखने में ज़माने गुज़र गए ,

जाने वो कैसे आइना ए अक़्स की एक झलक से सारी तस्वीर बाँच लेते हैं ।

 

बच्चे बच्चे की ज़बान बाग़ी है ,

जमूरियत ए आदम में कौन कब तलक ख़ानाबदोश रहे ।

 

अब तो क़िरदारों में भी चाक नज़र आने लगे ,

ज़मीर ए दाग़ जिनके कपड़ों में कभी दिखते न थे ।

 

कौन किसको हक़ देता है इन्सानियत के वास्ते ,

इन्साफ के लिए दिलों में जज़्बा ए जूनून भी होना चाहिए ।

 

तू मेरे किरदार से इन्साफ कर दे या मौला,

मैं तेरा हूँ तो मेरे हर गुनाह माफ़ कर दे या मौला

 

good morning shayari in hindi 140 words

 

ये जो नफ़रत का बीज है जनमजुगी होगा ,

पैदाइस से ही आदम ए खून में पलता होगा ।

pix taken by google