नाज़ुक लब पर शबाब देखे हैं sad poetry in urdu about love,
नाज़ुक लब पर शबाब देखे हैं ,
जलते शबनमी अज़ाब देखे हैं ।
आशिक़ तो बहुत हैं नक़ाबों के ज़माने में ,
बस आईन ए सूरत का का कोई तलबग़ार नहीं है ।
कभी चाँद पर चलता है कभी तारों की बात करता है ,
रूबरू ए यार भी शायरी का मंज़र अजीब होता है ।
दिल की धड़कनो की सहूलियत के वास्ते ,
बिना अरमानो के चुप चाप निकल जाता हूँ मैं अपने रास्ते ।
बुझा के दिल अपना मुकाम छोड़ आया हूँ ,
मैं आतिश ए शहर में अपना मकान छोड़ आया हूँ ।
जब हवाएं ही बगावत में उतर आएं ,
खुद के साये का छुप जाना भी लाज़िम है प्यारे ।
अब कारोबार ए इश्क़ का अंदाज़ जुदा होगा ,
न जाम ए मैकशी होगी न गुफ्तगू ए मुब्तला होगा ।
बस जुज़बी नहीं मिलते हैं हज़ार ज़माने में ,
आशिक़ों के किस्से सुर्खरू हैं नए हर रोज़ शामियाने में ।
इश्क़ के सज़दे में सर झुका कर ज़माने का ख़ौफ़ करना ,
रुस्वाई दिलों की न हो जाए बस इतना ख़्याल बनाये रखना ।
सूरत ए हुश्न पर फ़िदा कितने ,
कभी सीरत ए फ़ानी का भी मुब्तला करते ।
इश्क़ की नाकामियां हैं जो लफ़्ज़ों में उतर आई हैं ,
गोया ये तालीम ओ तरबियत किसी कॉलेजी की डिग्री की मोहताज़ नहीं ।
हसीन चेहरे बहुत हैं ज़माने में ,
कोई फिर दिल को छू जाए उस सा हसीन नहीं मिलता ।
आरज़ूएँ बेलिबास बदहवास भटकती हैं दर बदर ,
अंजुमन में गुंचा ए गुल की उलझने कोई सुलझाए कैसे ।
ग़म न था वो हमारी लाइफ से लॉग आउट होकर चला गया ,
तकलीफ़ तो तब हुयी जब उसकी फोटो हमारी ही फ्रेंडलिस्ट में किसी और के साथ चिपकी नज़र आई ।
सोशल साइट्स में क्या क्या नमूने पेश ए ख़िदमत हैं ,
चार्लीज़ एंजेल्स में लड़के और रॉकस्टार्स में मोहतरमायें माबदौलत हैं ।
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