पतंगें भीग जाती है अश्क़ों की बारिश में dosti shayari,

0
1085
पतंगें भीग जाती है अश्क़ों की बारिश में dosti shayari,
पतंगें भीग जाती है अश्क़ों की बारिश में dosti shayari,

पतंगें भीग जाती है अश्क़ों की बारिश में dosti shayari,

पतंगें भीग जाती है अश्क़ों की बारिश में ,

गोया आसमान ने मेरे जमाल ए यार का हाल ए दिल सुनाया होगा ।

 

मोहब्बत नहीं अश्क़ों का तगादा करने ,

वो हर शाम मेरी नज़रों में ठहर जाता है

 

छतों से तोड़ लेता था डोर उड़ती पतंगों की ,

आस्मां पर दीवारें बन गयी जब से घुटन महसूस होती है

 

सियासत घुल नहीं पायी मेरे नाज़ुक ख़्याली में ,

गुलों के अर्क को बस बर्क़ में महफूज़ ही रखो ।

 

लफ्ज़ अश्क़ों में भिगो नहीं सकता ,

बस सर्द लहज़े हैं गुफ़्तगू ए अदायगी को समझो ।

 

मुमकिन है वही आँखें अश्क़ सबसे ज़्यादा बहाएँ ,

जिसकी शान ए महफ़िल में तूने भी गीत गुनगुनाये थे कभी ।

 

गर बुराइयां हैं मुझमे तो होगी अच्छाइयाँ भी ,

इंसान को खुद अपने फैसले का मुंसिफ भी बनना चाहिए ।

 

दर्द ए मुंसिफ से ज़माने में जो बचा होगा ,

हीर राँझा रंक राजा पीर फ़क़ीर न ख़ुदा होगा ।

 

अभी गम ए उल्फत की वीरानियों में तल्खियाँ उड़ाऊँगा ,

मैं अपने मुक़द्दर का आप मुंसिफ हूँ ।

 

जो बच गया वो ख़ुदा हो गया ,

गोया इन आँखों के काले जादू ने शब् ए महताब काला करके छोड़ा है ।

sad shayari 

चांदनी रात है हिज़ाब में न नज़र लग जाए ,

गोया काजल का काला टीका लगा कर बच बचा के चलो ।

 

दो चश्म मीठे थे वो भी खारे हो गए ,

अब खुश शहर भर में कोई भी बचा नहीं ।

 

शहर भर में पहले से धुआँ कम था क्या ,

जो अब एक और दिल जला के रखा है ।

hindi shayari ,

फ़िज़ाओं में न ज़हर घोलने की बात करो ,

शहर का हर एक शख्स पहले से ही ज़हरीला है ।

 

लोग नमक खाके हक़ अदा नहीं करते ,

गड़े मुर्दे क्या ख़ाक नमक से गल पाएँगे

 

सम्हाल ले अपने नज़रिये को ,

लोग नमक निम्बू मिर्ची लगा कर इन्सानियत भी चाट खाते हैं

pix taken by google