पप्पू का रुद्राभिषेक funny political shayari,
पप्पू का रुद्राभिषेक , दादा परदादा की सल्तनत ढह गयी ।
सांप की बामी को सपेरों ने घेरा है ।
हलाहल का विषपान करके भोलेनाथ ने तांडव का जमके खेल खेला है ।
शिक्षा कर्मी पर व्यापम रच दिया ,
जो बच गए इस पंचवर्षीय संकट से ।
तो बस फिर पप्पू का फेरा है ,
सावन मास शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी लगन का शुभ मुहूर्त बनके आया है ।
वादों विवादों से प्रतिवादों तक ,
नादों निनादों से शंख नादों तक ।
सजा है फिर स्वयंबर अतिरोचक रमणीयता से ।
कहीं फिर नाग न डस ले , तो फिर नंदी बिचक जाए ।
पप्पू का रुद्राभिषेक पांच वर्ष को फिर न टल जाए ।
चिता की भष्म कम थी क्या जो कोलगेट बनाया ।
फिर मासूम भक्तों को उसमे ज़िंदा जलाया ।
जो बच गए अप्राकृतिक आपदा से लेके अवतार खुद उत्तराखंड बहाया ।
डरे नहीं सहमे नहीं अब भी रुद्राभिषेक होगा ।
जल से फूलों से तिल से ताड़ों से प्रत्येक होगा ।
चढ़े बली पर बली चाहे जितनी चढ़ जाए ,
प्रत्यंचा तन गयी गर धरा से गगन तक मुण्डमाल लग जाए ।
कथनी है कथन है होकर के रहेगा ,
अगले पंचवर्षीय में अपना पप्पू भी घोड़ी में चढ़ेगा ।
टी टेबल से नदारद हैं किस्से सुकून ओ सुखन वाले ।
रंगकर्मियों की वफाओं के किस्से हर रोज़ छपते हैं ।
ताज़ा तरीन सब्ज़ियों की रंग ओ बू नहीं मिलती ।
इश्तेहार ए नमूने ताज़ी वादियों के सफ़हे सफ़हे में छपते हैं ।
कोना कोना सुर्ख लाल बिम्ब रहता है ।
साहेब की ज़ोरूओं के साथ ड्राइवर हर रोज़ भगता है ।
वर वधू के एड में बस लाले ही लाले हैं ।
कुँवारे बाप माएँ लड़के लड़कियाँ हर रोज़ बनने वाले हैं ।
खुशियों का एक कॉलम एस्ट्रोलॉजी का होता है ।
पढ़ के दावत के लालच में भूखा घर से मुन्ना निकलता है ।
किसी की अन्तयोदशी किसी की ग्रहदशा जो बिगड़ी है ।
डॉयल करें एक सौ चार बाबा फोटू में बाँधे पगड़ी है ।
नुस्खे मिलते हैं लाइलाज़ रोगों की दवाएँ मिलती हैं ।
यही पेपर के माध्यम से चांदसी दवाखानो में भीड़ बढ़ती है ।
खबर मिलती नहीं है पृष्ठ से ऐनक हटा लो ।
पृष्ठ प्रथम के लाइन की कॉलम को दसवें पर उतारो ।
गिलास भर पानी के साथ गरम गरम चाय भी गुटक डाली होगी ।
जल गयी होगी भट्ठी पेट की गुसलखाने की याद भी आ रही होगी ।
अच्छा हम चलते हैं विश्राम लेते हैं ।
आप अपने घर में बोलें नेक्स्ट कोई टी टेबल का पेपर सम्हाले ।
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