पयाम ए मोहब्बत में मेरे घर का पता है birthday shayari ,
पयाम ए मोहब्बत में मेरे घर का पता है ,
फुर्सत मिले तो आना कभी शब् ओ सेहर दिल का दरवाज़ा खुला है ।
है ज़मीन ए ज़ब्त मौसम गज़ब का सर्द सा है ,
सारा आलम शहर भर का अपने नशेमन में छुपा सिमटा सा है ।
कौन है किसका नशेमन किस शहर में धूप है ,
रंग ओ बू और आब ओ दाना से क़फ़स का रूप है ।
कोई होता ठिकाना बहते अश्क़ों का ,
जिगर के बाद गम का नशेमन एक और होता ।
है कितना घुप अँधेरा सर्द रातों में ,
ग़मों के साथ मेरे दिल का नशेमन चूर रहता है ।
गम की दीवारों में सुराख लगता है ,
दिल के नशेमन में ख़ुशी की रोशनी वहीँ से झरती है ।
कुछ जला था दर्द से उस पर बर्फ के गोले थे कम ,
मेरा नशेमन फूंक के मुझको ही दफनाया गया ।
मेरे शहर की रवायत देखो ,
मेरा घर फूंकने वाले हमदर्दों की मेरे दर पर भीड़ है ।
जिनकी रिहायसी के लिए तमाम उम्र कसीदे पढ़े ,
वही बर्बाद ए नशेमन का तमाशाई बना है खड़ा ।
न पेश ए मुचलका न गिरफ़्तारी हुयी ,
मुंसिफ ने इश्क़ के मुल्ज़िमो की सज़ाएँ तरदीद कर दी ।
लहू सा बह रहा है रगों में वीरान तन्हा ,
तेरा हर लम्स ज़िंदा है मुझमे मैं खुद से खामोश बैठा हूँ ।
सुबह की गुनगुनी धूप की खुश्बू ,
शाम ए रुख्सत अंधेरों में अटक जाती है ।
ढलते सूरज की एक तमन्ना थी ,
शब् ए माहताब न कोई चराग बुझे ।
उधेड़ लेता हूँ मैं रात की तहों में दबी हर तुरपन ,
दिल ए नादाँ में भरा बचपन कहीं आज भी है ।
मैंने हर रात अपने ख़्वाब जलाये होंगे ,
तब कहीं जाके तेरा आँगन महका होगा ।
सुबह से शाम तलक शहर भर में कोई नज़्म चले ,
और बज़्म ए गुफ़्तगू में तेरा ज़िक्र ना हो ।
pix taken by google
[…] https://www.pushpendradwivedi.com/%e0%a4%aa%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%ae-%e0%a4%8f-%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e… […]