पांच बेवड़े एक साथ सत्य घटना पर आधारित motivational stories in hindi
बात चार बेवड़ों की कहानी एक साथ सुनाने की हुयी थी , मगर क्या करें कहानी में पांचवां बेवड़ा खुद बखुद कूद पड़ा ,
हमारी कहानी ५ बेवड़ों की ज़िन्दगी से ली गयी है कहानी के पात्र हैं रघु , रमन , तपन, सपन, बंटू ,
चलिए कहानी सुरु करते हैं रघु से जो रईसी में पला बढ़ा डॉक्टर की औलाद है , यहां अपने नानी नाना के यहां रहकर
पढ़ाई कर रहा है , लड़का ब्रिलियंट है पढ़ाई में पैसे की कमी नहीं है , जब दोनों साथ में हों तो स्वाभाविक है की कोई भी
लड़का उड़ी में रहता है , यही रघु के साथ भी हुआ शहर के बदमाश लड़कों के साथ दोस्ती हो गयी , शराब पीने की शौक
पाल लिया और १० वी के ८५% १२ में आते आते ५५% में बदल गए , सपने मैथ लेने के थे मजबूरी में बायोलॉजी लेना
पड़ा , मगर वो कहते हैं न जिसे ऐटिटूड आ जाता है वो फिर कहीं का नहीं रहता , शराब की लत दिल ओ दिमाग़ पर हावी
थी पहले बैठ कर पीते थे मैखाने में अब घूमने लगे थे स्कूटर की दिग्गी में रखकर बोतल जहां तलब लगती वहीँ दो घूँट
मार लेते हालात बद से बदतर होते गए सेहत बिगड़ी डॉक्टर ने एडमिट किया चेक अप हुआ डॉक्टर ने बोला इसका लीवर
खराब हो चुका है ये कुछ दिनों का मेहमान है उसके बाद फिर रघु कभी नहीं उठा न दिखाई दिया , बस उसकी खबर आई
की रघु इस दुनिया में नहीं रहा ।
अब आते हैं दूसरे किरदार रमन पर जो खाते पीते किसान परिवार का ५ लड़कियों में एक लौता लड़का है , बहुत लाड
प्यार में पला बढ़ा था , इसीलिए किसी की नहीं सुनता था , स्कूल से ही बर्बादी के लक्षण दिखने लग गए थे जेब में पैसे
इफरात रहा करते थे शहर की स्कूल में एडमिशन था जो की गांव से ही कुछ ही फासलों पर था , पढ़ाई ख़त्म हुयी शहर में
एक गराज खोल लिया रमन ने दिन भर काम और शाम से देर रात तक उसी गराज में जाम ए मैकशी , जब रमन देर
रात घर लौटता तो माँ चिल्लाती उस पर रमन सब कुछ अनदेखा करके चुपचाप खाना खाता अगर भूख नहीं लगी होती
तो ऐसे ही सो जाता , बाप की कोई बखत नहीं थी उसकी नज़र में उसने बाप को पागल बना रखा था , अब चूँकि रमन
कमाऊ लड़का था जायदाद भी अच्छी खासी थी शहर से रिश्ते आते और एक दिन रमन का विवाह हो गया , बीवी शहर
की थी उसने दबाव बनाया की शहर में घर बनवाओ , येन तेन प्रकारेण शहर में घर बनवाया गया जब घर बन रहा होता
था तब भी रमन ठेकेदार के साथ ही शराब का सेझा बना लिया करता था ,लेबर बेचारी पेमेंट के लिए आगे पीछे घूमती रह जाती थी
खैर धीरे धीरे गृह प्रवेश हुआ , गराज बेचनी पड़ गयी घर बनवाने में कर्ज़ा जो इतना हो गया था , यहां रमन की दोस्तों के
साथ करीबी और बढ़ती गयी वही देर रात का आना शराब में दिन रात डूबे रहना घर वालों से झगड़ा लोगों का कर्ज़ा बीवी
घर से ज्यादा मायके में रहने लगी , रमन का उठा बैठना और घटिया लोगों के साथ होने लगा जब तक जेब में पैसे थे
इंग्लिश पीता था अब पैसे भी पास नहीं रहते थे तो सुबह से ही देसी पीने लग गया , हुआ यूँ की उनका भी लीवर जवाब दे
गया डॉक्टर ने साफ़ कह दिया आखरी वक़्त आ गया है पियोगे तो मरोगे नहीं पियोगे तो भी मरोगे , रमन ने पीने की
रफ़्तार और तेज़ कर दी और एक दिन खुदा को प्यारे हो गए , पीछे रह गए उनके बीवी बच्चे और माँ बाप जिनके पास
रोने बिलखने के अलावा कोई काम नहीं है ।
अब आते हैं अपनी कहानी के तीसरे किरदार तपन की कहानी पर साहेब बड़े घर के एकलौते पैदाइस थे , जनाब ने बैचलर
इन फाइन आर्ट की डिग्री ले रखी थे इसके बाद मुंबई से एनीमेशन का कोर्स कर रहे थे , पैसे वाले थे हैंडसम हंक थे दोस्तों
के साथ साथ लड़कियों में भी अच्छा खासा दबदबा था , जॉब भी मिल गयी थी , आये दिन नए नए अफेयर होते दोस्तों
के साथ पार्टियां होती ज़िन्दगी बस मस्ती में गुज़र रही थी फिर देश में एक आर्थिक मंदी का दौर आया ज़यादातर प्राइवेट
जॉब करने वालों को घर बिठा दिया गया , उसी में तपन की नौकरी भी जाती रही , जब तक तपन की जेब में पैसा था
खूब उड़ाए खाये पिए जब पैसे ख़त्म तो कौन होता है ज़माने में सब दोस्त यार गर्ल्स फ्रेंड्स ने साथ छोड़ दिया , अब तपन
अकेला था मज़बूरन उसे घर लौटना पड़ गया और हुआ यूँ की वो शराब की गिरफ्त में बुरी तरह से जकड़ा जा चुकता था ,
शराब उसके सर पर वचढ़कर बोलने लगी थी , आये दिन लोगों के साथ मारपीट की वारदातें भी होने लगी थी इन्ही सबके
बीच एक दिन सड़क हादसे में तपन का राम नाम सत्य हो गया ।
अब आते हैं कहानी के चौथे किरदार सपन पर जो मामूली कमाई वाले परिवार की औलाद है इसके पिता सरकारी नौकरी
करके अपना जीवन यापन कर रहे थे , जैसे तैसे सपन जवान हुआ सोचा बिज़नेस करूँगा रिश्ते के फूफा से कुछ पैसे उधार
लिए और कई पार्टनर्स के साथ मिलकर प्लॉटिंग के धंधे में लगा दिया धंधा चल निकला सपन को माला माल होने में
वक़्त नहीं लगा , और कहते हैं न दौलत आती है तो कुछ न कुछ ऐब भी लेकर ही आती है , सपन को शराब का
ज़बरदस्त शौक था चेले चापाडियों की कमी नहीं थी आगे पीछे घूमने वालों की , दिन भर सुरा सुंदरी में मस्त रहते थे ,
पैसा था नाम था तो नेतागिरी में धाक जमा रखी थी , छोटे शहर के थे शराब के आदी भी हो चुके थे तो उन्हें नशा मुक्ति
केंद्र ले जाया गया , भर्ती रहे बहुत दिनों तक मगर कोई असर न दिखा तो सोचे की क्यों न हेड ऑफिस मुंबई जाकर ही
इस नशामुक्ति केंद्र को बंद करवा दिया जाए , प्लान गंभीर थे चेलों की एक टोली तैयार हुयी जस तस नशामुक्ति केंद्र
मुंबई के गेट तक पहुंची सभी रास्ते भर एक दूसरे से कहते रहे अप्लीकेशन बनाओ और आखिरी तक कोई अप्लीकेशन
नहीं लिख पाया । की नशा मुक्ति केंद्र बंद किया जाए और सपन ने निर्णय लिया की अप्लीकेशन पोस्ट कर दिया जायेगा
अभी गोवा चला जाए एन्जॉय किया जायेगा , शराब इतनी ज़्यादा हो गयी थी की गोवा में ही उसे एडमिट कराया गया ,
जैसे तैसे वहाँ से ठीक हुए शराब तो छूट नहीं पायी और नशे की हालत में कार लेकर भिड़ गए और ऐसा टूटे की आज तक
हॉस्पिटल में ही टूटे पड़े हैं फिर कभी जुड़ नहीं पाए ।
अब आते हैं कहानी के आख़री किरदार बंटू जैसा की नाम से ही समझ में आता है की लड़का बदमाश होगा , ये भी
बड़े माँ बाप की बिगड़ैल औलाद ही थे बचपन से ही दादागिरी का शौक था , शराब तो इनकी रगों में लहू बनकर दौड़ती थी
, जब तक पैसे रहते दिन रात पीते जब पैसे ख़त्म तो राह चलतों से पन्गा किसी से गाड़ी भिड़ा देते उससे पैसे ऐंठते ,
फिर शराब पीते और जब नशा कम पड़ता तो कोरेक्स के साथ साथ इंजेक्शन भी लगा लेता , नशे के लिए किसी भी हद
तक गिर सकता था बंटी बंटी की शादी हुयी एक बच्चा हुआ , ज़िन्दगी खुशहाल ही गुज़र रही थी बंटी तो नहीं सुधरा था
पर माँ बाप तो खुश थे की चलो बेटा तो हाँथ से गया कोई बात नहीं पोते से काम चला लेंगे दिन गुज़रते गए , बंटी एक
और बेटे का बाप बन गया , नशे में उसे ये होश नहीं था की वो बेटा उसका अपना खून है वो नशे में शून्य हो चुका था ,
घर में बरहों की तैयारी चल रही थी बंटी कार्ड्स बाँट कर घर लौटा ही था , गर्मी की चिलचिलाती धुप थी बीवी से पानी
मांगा थक कर बैठ गया कुर्सी में बीवी पानी लाकर दी। मगर बंटी पानी नहीं पिया वो एकटक देखता रहा बीवी की तरफ
शायद उसके प्राण पखेरू उड़ चुके थे । बीवी ने हिलाया वो वही धड़ाम से गिर गया उसकी उम्र मात्र ३२ साल थी ।
true lines about life in hindi,
the end
pix taken by google