फ़ितरतन दिल तो बस आवारा है romantic shayari,

0
2132
फ़ितरतन दिल तो बस आवारा है romantic shayari,
फ़ितरतन दिल तो बस आवारा है romantic shayari,

फ़ितरतन दिल तो बस आवारा है romantic shayari,

फ़ितरतन दिल तो बस आवारा है ,

कब किसी रश्म ओ रिवाज़ कब किसी कुनबे में रुक के ठहरा हैं ।

 

शब् ए गुल रंग ओ बू और शर्म ,

कब किसी बर्क़ ओ चिलमन के मोहताज रहे हैं ।

 

गुलों के लब पर तबस्सुमरंग ओ बू न नमी है ,

लगता है खून ए ज़र्द ज़मीन पर भी इंसानो की कमी है ।

 

सूखे दरख्तों पर तख़्तियाँ लटकाने से कुछ नहीं होता ,

बात बनती है दिलों के आईने में आरसी उतरने के बाद ।

 alone shayari

तमाम उम्रें सुफेद कर दी इंसानियत की राह पर ,

मुशाफिर हज़ार थे मगर कोई इंसान नहीं मिला ।

 

छोटे से दिल की हसरतें बड़ी बड़ी ,

हसरतों पर इंसानियत का जामा उढ़ाऊँ तो दिल ए नादान को समझाऊँ कैसे ।

 

वो मेरी मुस्कुराहटों से दिन संवार लेता है ,

मैं वादी ए गुल के ज़र्द पत्तों से अपना आशियाना सजाऊँ कैसे ।

 

आस्मां पर छत नहीं ज़मीनी बात होती है ,

रसूकदारों के लिए सियासियों की विदेशी मुलाक़ात होती है ।

 

यहां ज़मीनी दल्लों से देश चलता है ,

अवाम के हिस्से में दो वक़्त का लुक़मा ही नसीब होता है ।

 

कोई तो हो जो गुमसुदगी में नाम ले ,

यहां तो लोग बस नामचीनों को याद किया करते हैं ।

 

जश्न बस एक रात का है ग़ालिब ,

आगे ग़म की अँधेरी रात और गहरी ख़ामोशी है ।

 

इल्म है अवाम के बच्चे बच्चे को ,

ये उज्जवल सियासी गंगधार आगे गंदे नाले में मिलती है ।

 

तुम लफ़्ज़ों को सुमारी में पिरोते हो ऐसे ,

ग़म ए गर्दिश में एहसाशों की क़तार खड़ी कर रहे हो जैसे ।

 140 words shayari

तुमको परवाह अपने दिल ए नाज़ुक की पड़ी है ,

यहां दिल ए नादाँ पर सारे क़ायनात की आफ़त आन पड़ी है ।

 

सारा आलम रुआं रुआं सा है ,

सारे आलम में सोरीदगी सी है ।

 

ये ज़ख्म हैं मोहब्बतों के इंसानियत से सम्हाले रखो ,

ग़म ए गर्दिश की तन्हाइयों में नासूर ही राहत देगे ।

 

उफ़ ये नाज़ ओ नखरे उस पर जनकल्याण की भावना ,

गोया हम तो इश्क़ की विडम्बनाओं में ही ख़ानाबदोश रह गए ।

pix taken by google