बड़ा ख़ुदगर्ज़ निकला बाग़ का मालिक urdu quotes in hindi,,
बड़ा ख़ुदगर्ज़ निकला बाग़ का मालिक ,
कली चटकी भी न थी और साख का सौदा कर डाला ।
टूट कर बिखरे पड़े हैं गुंचे ,
रात चोरी से कोई बाग़ में घुस आया होगा ।
रंग ओ बू ए हिना की खुश्बू से सारा बाग़ महक जाता था कभी ,
आज बस याद के पलछिन भी रुला जाते हैं ।
तू अपनी नफ़रत को मेरी मोहब्बत से पुख्ता तो कर,
हमने देखे हैं ज़माने में कई और अदावत वाले ।
सींचा था शहीदों ने सब्ज़ बाग़ लहू से ,
सियासत की आंधियां चलीं और क़त्ल ए आम मच गया ।
खिज़ा के मौसम में राज़ ए गुल की तवक़्क़ो किये बगैर ,
खार के साथ खुशनुमा हज़ार बाग़ ए बहार आज भी हैं ।
देखे हैं साहिलों पर दरियाओं के तेवर हमने,
पत्थरों की चोट खाकर लहरों संग सागर भी लौट जाता है ।
बूँद को चाह थी समुन्दर में डूब जाने की ,
साहिल पर खड़ा समुन्दर कब खुद की प्यास बुझा पाया है ।
खार के होते लुट जाए बाग़ किसी की मजाल कहाँ ,
यूँ ही नहीं माली ने कटीले बाड़ बाँध रखे हैं ।
पल भर में साहिलों की सूखी रेत् को देखो,
कितना गहरा होकर भी समंदर कितना प्यासा है ।
हमने सदियाँ गुजारी थीं जिनके ख़्वाबों में ,
वो गुज़रे हमारे कूचे से एक उम्र के बाद ।
ज़मीने फ़र्क़ नहीं समझतीं मिटटी का ,
यहां इंसान क़फ़न के ओहदे नाप लेते हैं ,
हमने देखे हैं बहुत ख़्वाब सजा कर तेरे,
तेरे ख़्वाबों के मानिंद हसीं कुछ भी नहीं ।
ये घाव हैं वो इश्क़ है ,
तेरे इश्क़ के मानिंद कह दे की हसीं कुछ भी नहीं ।
जबीं ए नक़्श से हकीकत निहारता ,
वो जाने किस दौर ए लतीफों से ईराफात रख रहा था ।
इफरात सुर्खरू ए ख़यालात फ़लक पर ,
न कामिल ए दिल मिला न मुकम्मल ए हालात ।
मुल्क़ बांटा मिल्कियत बाँटी , अवाम की सख्सियत बाँटी ,
घर की दीवारों में ज़ोर चलता नहीं गोया दीवारों पर भी सियासी रंग पुतवा देते ।
क़र्ज़ रख न अपने दिल पर मेरी मोहब्बत का तू ,
तू भी देदे ज़ख्म ताकि मोहब्बतों का कारोबार चले ।
pix taken by google ,