बड़ी बेफ़िक्री सी रहती है वो जब भी वो मेरे साथ चलती है shayari,
बड़ी बेफ़िक्री सी रहती है वो जब भी वो मेरे साथ चलती है ,
कभी सोचा नहीं वो मग़रूर सी लड़की क्यों मुझ से बात करती है ।
क्या कहना है क्या सुनना है ख़ामोशी में भी कोलाहल है ,
दिल में अरमानो का भूचाल लिए बेबाक समंदर ठहरा हो जैसे ।
तू नहीं कोई और सही कोई और नहीं कोई और सही ,
टिकती नहीं किसी ठौर पग ,
गोया मोहब्बत में किसको अब और परवान चढ़ाया जाए ।
जुगनुओं की जमघट में मुझे मिलती नहीं ,
गोया आलम ये हैं की तितलियों के पर भी बेरंग करती है ख़ुशी दिल की ।
इश्क़ में यूँ न सरे आम क़त्ल हो आशिक़ का ,
ये पाक साफ़ घरानों के नामचीन हुश्न वाले न बदनाम हो जाएँ ।
यूँ ही मुस्कुराओ सनम ज़िन्दगी में बहार आ जाये ,
साँस जलजला सी चले हर पल मद्धम हो जाए ।
मौत हर राह पर चुम्बन लेती है ,
ज़िन्दगी के हर मोड़ पर बनी महबूबा खड़ी हो जैसे ।
रात टहलती है दरवाज़े पर मेरे ,
याद तेरी आँखों में बसी पलकें पर्दा करती हैं ।
जो भी किया क्या खूब किया खुद की तबाही की औरों को आबाद किया ,
मर गए फ़िक्र में ज़माना ए यार के ,
इस तरह हमने बस मैय्यत के लिए भीड़ का इंतज़ाम किया ।
झबार बनके रह गयी थी ज़िन्दगी अपनी ,
गोया जब से वो गया दिल की सूनी मीनारों में ग़मो के ताले लग गए जैसे ।
तेरे अधरों में हैं नयन मेरे ये बूँद बूँद जो बहता है ,
तेरे मन की हर कथा व्यथा उद्वेलित मेरे मन को विचलित करता है ।
आलम ए जश्न ए तन्हाई भी अज़ीब है ,
आस्मां पर सजी चाँद तारों की बारात ,
गोया ज़मीन के ज़र्रे ज़र्रे को ख़ाक होने की ज़िद है ।
संगदिल दुनिया संग मेहबूब भी संगदिल हो निकले ,
टूटा पड़ा रहा दिल काँच का टुकड़ा समझ कर अरमान ओ आरज़ू निकले ।
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