बड़े ज़ख्म दिए हैं लोगों ने ज़माने की दुहाई देकर whatsapp status,
बड़े ज़ख्म दिए हैं लोगों ने ज़माने की दुहाई देकर ,
हमने भी हर दर्द सहा है रहमत ए खुदाई कह कर ।
सर्द हवाएं ख़्वाबों को सोने नहीं देती ,
दिल के जलते जज़्बातों में गज़ब की राहत है ।
थक के सो गया समंदर की लहरों में साहिल ,
जाने लगता है कितने जन्मो से कोई प्यासा था ।
रात तनहा ही है सुकून भरी ,
दिन का कोलाहल कोहराम मचा जाता है ।
रंगतें निखर रही हैं सब्ज़ बागों की ,
किसी ने रो रो के सींचा है खिज़ा के मौसम में ।
उगते सूरज की किरणों से मैंने जो पुछा हाल ए पयाम उसका ,
थक के सो जाता है वो बोला इंतज़ार में तेरे तेरी ही तरह ।
थक के साहिलों में कभी सोता नहीं ,
कारवां समंदर की लहरों का आता जाता है ।
ऊंचे पर्वतों ने उगते सूरज को गहरा तो है किया ,
गोया फूटे दर्रों से निकली किरणे जहां को जगमगाएगी ।
लफ़्ज़ों की समझ नहीं थी जिसे ,
इश्क़ के सबक ने उसको शायर बना दिया ।
रेत के घरोंदों सी है ज़िन्दगी ,
जाने किस गुमान में चल रही है ज़िन्दगी ।
सियासी नहीं हों इल्मियत की बात करता हूँ ,
गर्द चेहरों की पेशानी पे सिकन चाक दामन पर पैबंद लगे देखे हैं मैंने इसलिए इंसानियत की बात करता हूँ ।
सौ साल में एक रहनुमा जन्मा होगा ,
जो वतन परस्ती में दिल ओ जान क़ुर्बान किया होगा ।
वक़्त बदला सियासतें बदली ,
वक़्त के साथ सियासी चेहरे बदले,
बदले नहीं तो बस वही मासूम चेहरे जिनकी कवायद आज भी है ।
नासमझी में सब हसीन लगते हैं मंज़र ,
गोया हकीकत की दुनिया कुछ और हुआ करती है ।
पूछता सूखे दरख़्तों पर बैठा परिंदा ,
मेरे लहलहाते सब्ज़ बागों को किसने उजाड़ा है ।
आज से ही नन्हे पौधों की जड़ों में नफरतों का ज़हर भर दो ,
कल कहीं लहलहाते सज़र चैन ओ अमन न फैलाएं ।
pix taken by google ,