बड़े नाज़ुक से दिल में बड़े नाज़ुक ख़्याल रखते हैं Alfaaz shayari,
बड़े नाज़ुक से दिल में बड़े नाज़ुक ख़्याल रखते हैं ,
गुफ़्तगू किसी से करें नज़र हम पर ही ख़ास रखते हैं ।
मेरा इश्क़ जुनून बन गया है अब ,
सारी क़ायनात के ख़ुदाओं से बग़ावत होगी ।
राह ए उल्फ़त एक जुनून है मयस्सर ,
जो सबका जीना मुहाल करती है ।
ज़रुरत पड़ी प्यार का नाम लिया मेहबूब बनाया छोड़ दिया ,
मोहब्बत भी कोई कारोबार है क्या ज़माने को ख्वामख्वाह बेरोज़गार किया ।
चाँद से क्या मोहब्बत करते हो मोहसिन ,
ये तो खुद औरों का मेहबूब बना फिरता है ।
अज़ीब ज़माने का दस्तूर है मोहब्बत जिसे कहते हैं ,
तबाह होते हैं इश्क़ में फिर भी बस मेहबूब ए खुदा का नाम लेते हैं।
कहीं जश्न है कहीं जश्न ए तन्हाई ,
कहीं ख़ुशी के आँसू छलके किसी के आँसुओं के दीपक से दिवाली मनाई ।
नादाँ न समझ वो इतना है , बस दिल ही जलाया था हमने ,
वो आया आके बुझा गया और बोला हमसे दिवाली है सारे पटाखे हम दिन में नहीं फोड़ेंगे ।
होली में रंग नहीं दिवाली में रोशनी कहाँ ,
बिन तेरे सबकुछ बेनूर है ,
ये समझती कब है संगदिल दुनिया यहाँ ।
दिवाली भी कभी ख़ुशनुमा सी थी अपनी ,
वो गया साथ चरागों की रोशनी भी बुझाता गया ।
बुझते सुलगते दीप टिमटिमाते भभकते दीप ,
रौशन करे घरौंदे खुद अपने बुझा के दीप ।
खामियां गिनाऊँ तो गिनाऊँ कैसे , एक तो हरदम गुस्से से फूले गाल ,
उसपे होंठ लाल लाल , आँखें भी सुर्ख बाघ सी वहशत भरी हुयी ।
बेज़ार हुआ हाल मोहब्बत में जनाब का , टंगड़ी दबाई इसने कोई गुर्दा ले उड़ा ,
आशिक़ी का कबाब देख सबने थोड़ा थोड़ा ज़ौक़ ए ज़ायक़ा चखा।
माना की तेरे प्यार में बदनाम हो गया ,
बस दिल ही गुनहगार नहीं आँखों को भी मुक़म्मल मिले सज़ा।
दिल में है जो गुमनाम सा कसकता क्यों है ,
है नहीं अपना फिर अपना सा लगता क्यों है ।
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