बादाकशों से मत पूंछ इस शाम का अंजाम क्या होगा romantic shayari,
बादाकशों से मत पूंछ इस शाम का अंजाम क्या होगा ,
या तो जाम से जाम मिलेंगे या फिर जश्न ए ग़ालिब का इन्किलाब होगा ।
कड़ी धूप में कुम्हलाए पड़े हैं अरमान कितने ,
सुकून ए रूह की ख़ातिर ख़ुदा ने सर्द रातें तामीर करी होगी ।
एक ज़मीन ओ आसमान और दीवारों की तामीरी ,
आदम ए ख़ुल्द की आदमीयत ने एक जहन्नुम सा बनाया होगा ।
लोग जाने किस ज़र आज़मां की ख़ातिर लड़ते हैं ,
हम तो सो सो के इन्किलाब करते हैं ।
ख्वाब झोलों में भर के सी देते हैं ,
इसीलिए सुबह दोपहर शाम चैन से सो लेते हैं ।
one line thoughts on life in hindi ,
भीड़ बढ़ती गयी इंसानी ख़ुदा बिकता गया ,
मैं भरे बाजार में बुत बना तमाशा तकता रहा ।
लहू का रंग जुदा होता तो बात और होती ,
आसमान अलग चाँद तारे अलग ,
ज़मीनी ज़र्रों में बर्षात अलग होती तो बात और होती ।
सबको सबके दीन ओ मज़हब का वास्ता ,
सब लोग रहें खुशदिल चलें नेकी का रास्ता ।
शायर का सुखन और असरार बेअसर है ,
इबादत ए इश्क़ की खुदाई के बाद खुर्रम ए असबाब बेअसर है ।
किसकी दुआ लेते किसके सज़दे में सर झुका देते ,
जब आसमान ही सब्ज़ बागों में अज़ाब बरसा देता है ।
one line thoughts on life in hindi ,
यहां दर्द भी होता है तो रूहों की ख़बर नहीं होती ,
ख़ुदा से क्या इल्म छुपायेंगे ऐसी कोई सौगात नहीं होती ।
शहर ए आदम को ही है रोटी की तलब,
बस खून ए लुक़मा से जी नहीं भरता ।
बोटी से ज़्यादा कुछ नहीं औक़ात आदम की ,
महज़ रोटी की ख़ातिर बिक रही है चंद सिक्कों में।
घुट के रह गयी आवाज़ उन दीवारों में ,
जिन मीनारों की दीवारों को मज़दूर खुद तामीर किया ।
रात ख़्वाब और नींदों का ताना बाना ,
जाने अनजाने कितने किरदार तामीर करती है ।
रात की बुनियाद पर तामीर हो रहे ,
कुछ ख़्वाब अधबुने कुछ ख्याल बे तुके ।
pix taken by google ,