बावज़ूद ए हिदायत के ज़ोख़िम इख़्तियार करता है whatsapp status,
बावज़ूद ए हिदायत के ज़ोख़िम इख़्तियार करता है ,
हुश्न ओ इश्क़ के बाजार में दिल मौसीक़ी का तलबग़ार हुआ करता है।
निकस रही हैं आरज़ूएं कूचे कूचे से नज़ारा बनकर ,
राज़ ए गुल खिल रहे हैं नशेमन का सहारा बनकर ।
गीले मलबों सा सड़ान्ध पड़ा है इंसान ,
पास से गुज़रो तो ज़र्द पत्तों में भी आग लगाते निकलो ।
कितना खेलेगा ख़ुद का खिलवाड़ बना डाला है ,
बर्फ के पर्वत पर भी आग लगा डाला है ।
पिघल रही है आज हर सै सिमट के बाहों में ,
फ़िज़ा ए हुश्न ने सरगोशियों में कहा क्या है ।
हर मंज़र है ख़ूबरू हर नज़ारा जवान है ,
हवा की फ़ितरतें बदल दी जमाल ए यार ने,
मौसम पर इश्क़ का इस क़दर ख़ुमार है ।
ताउम्र का अफ़सोश रहा अदावतें नज़रों की थी ,
दिल मोहब्बतों में मग़रूर रहा ।
रौंनक ए इश्क़ का आलम ये हर बार रहा ,
बर्बाद बस हम हुए न दिल का इख़्तियार रहा ।
एक उम्र से तकती आँखें ,
जाने कितने अब्र ए मौसम आये आके बरस भी गए ।
शहर ए आदम भी ग़मज़दा सा है ,
एक उम्र से अब्र ए मौसम का दिल भरा सा है ।
कहकशां अच्छे नहीं लगते एक उम्र के बाद ,
दिल ए नादान को ज़माने भर के कहकशां पर भी तरस आता है एक उम्र के बाद ।
वक़्त की तल्खियों ने तमाम उम्र ए ग़मज़दा रखा ,
अश्क़ों से सींचे ज़ख्म ए दिल को हरा भरा रखा ।
आरज़ू ए अक़्स को तराशती आँखें ,
जैसे एक उम्र से न सोयी हों बोझिल आँखें ।
ताउम्र रहा बदनाम जिसकी मोहब्बत की ख़ातिर ,
मंज़िल पर आके पूछता है दोनों के मुतअल्लिक़ ताल्लुक़ क्या है ।
भूल जाती है ज़माने की हर सै एक उम्र के बाद ,
मेरे दिल की वीरान बस्तियों में तेरे नाम का घर आज भी हैं ।
जिन कूचों से तर्क़ ओ ताल्लुक़ात नहीं ,
दिल ए नादाँ ने उन्ही गलियों में उम्र ए ज़ाया कर दीं ।
pix taken by google ,
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