बड़ा ग़रीब बड़ा सादा है मेहबूब अपना funny shayari ,
बड़ा ग़रीब बड़ा सादा है मेहबूब अपना ,
है पनाहों में मेरे और ढूढता है ज़माने में वजूद अपना ।
दास्तान ए लैला मजनू के मुरीद बहुत थे हम ,
सारे इश्क़ के तोते फुर्र हुए दरूं ए इश्क़ में मिले ऐसे ऐसे ग़म ।
दिल में अटका बर्फ़ का गोला जो है ,
ग़म आँखों से बहे तो सुकून मिल जाए ।
ख़्यालों में चले आओ आँखों के रास्ते ,
पलकों में सजा रखेगे ख़्वाबों की परियों के जैसे ।
जिस मोड़ से गुज़रो हर मोहब्बत का दुआ सलाम लेते चलो ,
क्या पता कब कौन इश्क़ ए ज़िन्दगी , ज़िन्दगी ए इश्क़ बन जाए ।
अपनी भी सेकंड हैण्ड जवानी का कोई तलबग़ार मिले ,
गोया इस बहाने बेरोज़गारों को भी इश्क़ ए कारोबार मिले ।
बात भूल जाने की होती तो कब का दामन झाड़ लेते ,
इश्क़ का ज़ख्म है दाग़ जायेगा मुद्दतों बाद ।
मोहब्बत सीख लिए अब ज़माने का चलन भी सीख जाओगे ,
दर्द रुसवाई तिज़ारत तन्हाई ओ ग़म ये सभी आते हैं नाक़ाम ए मोहब्बत के बाद ।
शमा को छेड़ना परवाने की फ़ितरत है ,
जल जाए गोया या जान से जाए ये इश्क़ की किस्मत है ।
सब मतलब परस्ती है नहीं कोई इंसान के जैसा ,
न अल्लाह ओ राम का ख़ादिम कोई भटकता है लिए ईमान गुमराह के जैसा ।
मंदिर मस्जिद छोड़ स्टेडियम ही बनवा दिए होते ,
धर्म के नाम पर कमाने वालों के साथ क्रिकेट के दल्ले भी कमा लिए होते ।
परिंदों ने कब ज़मीन पर चोंच मारी ,
वो मुट्ठी भर आसमान लिए फिरते रहे ,
इंसान ने साज़िश रची गुम्बदों के घोसलों को तोड़ दिए ।
परिंदों ने जब भी देखे चोंच भर दाने देखे ,
इंसान सारा जहान लूटा खसोटा फिर भी भूखा रह गया ।
बहते बहते आँसू थम गए ,
देखने वालों को लगा इश्क़ ए ग़म कम पड़ गए ।
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