मसरूफ़ियत ए इश्क़ के भी अपने राज़ गहरे हैं romantic shayari,
मसरूफ़ियत ए इश्क़ के भी अपने राज़ गहरे हैं ,
कहीं नज़रे कहीं पलकें दबे अंदाज़ ठहरे हैं ।
बड़े खूँखार तेवर में लबों के लफ्ज़ जेवर हैं ,
सर आँखों में बिठा रखे हैं जाने ख़्वाब कैसे कैसे ।
शायर ए आज़म का मिजाज़ मत पूछो ,
बस नाम के हमदम हैं हर शायरी में दम निकालते हैं दम ब दम ।
अभी आये अभी बैठे बड़ी लम्बी थी तेरी यादें ,
यहाँ से चलने लगता हूँ वहाँ कुछ छूट जाता है ।
ट्विटर पर आशिक़ों के भूतों ने डाला है डेरा आज कल ,
फ़नाह होकर भी रूहें रूहों के ट्वीट पढ़ती है ।
मौसमी फूलों का क्या है आते हैं जाते हैं ,
दिल में बस यादों का पतझड़ हर मौसम में रहता है ।
सूखे पत्तों सी दिल की डायरी में दबी हैं यादें तेरी ,
नम आँखों से रखता हूँ गुलाब को ताज़ा हरदम ।
इन नरगिशी आँखों में महकता ख़्वाब जो देखा है ,
इस जहां का है कोई या दूसरा जहां भी बसा रखा है ।
यूँ हवाओं में न आहें भरो ,
आजाओ पनाहों में दिल की धड़कने थामो साँसे महसूस करो ।
जो मज़ा जलने जलाने में है ,
वो प्यार मोहब्बत में कहाँ ।
सादगी में जी बन्दे बहुत दूर तलक जायेगा ,
ज़्यादा चमकने के लिए ईधन अपनों के लहू का बहायेगा ।
वक़्त की करवट की सह के हैं यहाँ पर सब गुलाम ,
नाम के बस नामचीन है वक़्त ही सरताज है ।
सारी मोहब्बत जल के ख़ाक हुयी ,
उसने नाम पूछ के जैसे अरमान राख़ कर दिए सारे ।
रात्रि प्रहर नहर पाट पर टहलने आना ,
चंद्रमा भी लहरों संग टहलेगा जाना ।
बड़ी मदमस्त हैं आँखें छलकते जाम से ज़्यादा ,
गुस्ताख़ी माफ़ हो तो नज़रें जुम्बिश के दो जाम हमारे भी नाम हों ।
रोलो एक बार और रजाई में मुँह छुपा के ,
बाहर का मौसम बड़ा सर्द और खुश्क है होंठ फट जायेगे ख्वामख्वाह मुस्कुरा के।
pix taken by google