माल मवेशी का निकबर मर गए ग्वालन के literature hindi ,
माल मवेशी का निकबर मर गए ग्वालन के ,
जो जल मा छुट्टा मसकत दूध ।
लग्गा दूती ही है सिंगार जिसका ,
बर्फ के पानी में चाहे आग लगवा दे ।
पानी कांजी से बचत घर कटुईंदार ,
द्वारे गोफन लाये खड़े बंद हथियार ।
लग्गा दूती रोज़गार दैय्या नाहर बने बलम हमार ।
ज़हन के फरिका से बर्केटा मार दें ,
रात से तेरी यादें पसरी पड़ी हैं गलियारे में ।
घर के सगळी दीवार डिहरान जाथि ,
लोगन का पड़ोसिन के टुचके पिचके तसली डेचकन के पड़ी ही ।
बिसाद खाने से रोशन है हुश्न का सिंगार अगर ,
तरकारी खटकहाई की रसोई में लजीज़ बनेगी ।
बिंदी टिकुली चुड़िया तरकी सिंगार सजा मनिहारी के ,
तरछन चूने पानी भागा तरछी की फूटी पिचकारी से ।
चाबन भर बिरहुल का बिरहुला भा नहीं ,
न सूती भर भयो दूध बाप के ज़िंदा गाँव का मोड़ा घोटायो दाढ़ी मूँछ ।
जब चौखट के भीतर ही हमारी मुलाक़ातें नहीं होती ,
तो फिर चौगान में आकर फाफड़ कूटने का ढोंग कैसा ।
दो चार गंडों में बट गए कैसे बढ़ते परिवारों में ,
दो चार बीघा खेत फ़ज़ली आम जाने खलिहान कैसे ।
जेठ बैशाख के लूका मा भी गर पाला पड़िगै ,
तोहे सथरी बिछवा दूं अमुवा के छाँव तले।
मट्ठा न हो खट्टा अगर रसाज की कढ़ी का ,
कूचा न कपार लोढवा सिलौटी मा नोन बूक लै या मिर्च खूथ लै ।
ककई खीलत सांझ भई , लीख मरी न चीलर ,
सांझ अबेरी हो गयी ख़त्म करा परपंच ।
आपन भुगतब अपने करमे करें कौन गुरुआरी ,
जेखे टटठ में कोदई के रोटी कौन सजाये सोहारी ।
उन्ही पार्टी मा जाय का डिओ परफ्यूम के पड़ी है ,
यहां लू से सगळा कालेज बरा जात है ।
जाने कौने ठाठ उताने अहिमक लक्का तक ,
बीच सड़क हर रोज़ बिकने लुगरी लत्ता तक ।
ता काहे परेशान होतिस ही ,
गा है दिल तोड़ के जा तोर है ता वापस लौटबै करी कहाँ भागी गठजोड़वा छोड़ के ।
pix taken by google