मौसम ए दस्तूर है उड़ाने का hindi shayari ,
मौसम ए दस्तूर है उड़ाने का ,
सज़र के सूखे पत्ते कब तलक आँगन में यादों का घर बनाएंगे ।
ऐसे शेर न डालों यारों दिल के ज़ख्म फूट जाते हैं ,
पूंछो उन प्रेम भक्तों से मेहबूब की गलियों के चक्कर काटते जिनके चप्पल भी टूट जाते हैं ।
दर ओ दीवार पर चस्पा हैं यादें तेरी ,
अब मौसम ए हिज्र में खिजां आबाद करेगी ।
नश्लीयत बदली वल्दीयत बदली नशीहत देने वाले बदल गए ,
मगर दिल की वशीयत पर कब्ज़ा आज भी उसका है ।
ज़ब्त यादों के सीने में कुछ दरीचे हैं ,
कभी ओढूँ कभी बैठूँ कभी उस पर ही सो जाता हूँ ।
खट्टी मीठी यादों सी दिल के तबे पर छनकती कभी ठण्ड में ठिठुरती ,
कभी अनमोल कभी बेमोल ,
तोल मोल के खर्च कर पचास ग्राम की है ज़िन्दगी ।
वक़्त भी करवटें लेगा ,कमीज में सिलवटें होगी ,
तू आगे बढ़ना सदा , मंज़िलें तय अभी और करनी है ।
कुछ रात के टुकड़े हैं चाँद से मुखड़े के ,
दिन भर जोड़ कर टुकड़े मैं रात रोशन करता हूँ ।
कुछ टुकड़े संजोता है , कुछ यादें भिगोता है ।
इस तरह चस्म ए तर नग्मों से , शब् ए बज़्म में संजोता है ।
इश्क़ वाले कहाँ अंजाम की परवाह करते हैं ,
ये तो बस मेहबूब का नाम लेते हुए शूली में चढ़ते हैं ।
मिलते जुलते लफ्ज़ क्या शख्स भी हो सकते हैं ,
मगर अपनी स्पीशीज की हम आख़िरी शख्सियत हैं यारों ।
इश्क़ कर लो सारी फिलॉस्फी धरी रह जाएगी ,
खूँ इधर दिल उधर जान न जाने कहाँ तड़पड़ाएगी ।
जब वो प्यार से कहती है कमीने कब सुधरेगा तू ,
गोया उसकी बोली नीम के रस में शहद घोलती हो जैसे ।
जलकुकड़ी सी खड़ी दूर से टुकुरती है ,
ज़िन्दगी कहीं ये तू तो नहीं जो हर पल मेरे साथ साथ चलती है ।
दामन बचा के निकला हूँ वादी ए बहार से ,
खिजां ए मौसम में वीरानियों से दिल आबाद करेंगे ।
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