यूँ ही नहीं प्लेटफार्म में ट्रैन के डिब्बों के पीछे दौड़ता बचपन shayari in hindi ,

0
888
यूँ ही नहीं प्लेटफार्म में ट्रैन के डिब्बों के पीछे दौड़ता बचपन shayari in hindi ,
यूँ ही नहीं प्लेटफार्म में ट्रैन के डिब्बों के पीछे दौड़ता बचपन shayari in hindi ,

यूँ ही नहीं प्लेटफार्म में ट्रैन के डिब्बों के पीछे दौड़ता बचपन shayari in hindi,

यूँ ही नहीं प्लेटफार्म में ट्रैन के डिब्बों के पीछे दौड़ता बचपन ,

मज़बूरियों ने पगडंडियों से पटरियों तक का सफ़र तय कराया होगा ।

 

बचपन में ही गुम गया होगा ,

हँसता कैसे वो खोकर अपना चाँद सा हसीं दिलकश चेहरा ।

 

रात की अलसाई आँखों में ऊँघता बचपन ,

सुबह सूरज की किरणों संग फुर्र होके उड़ना चाहता है ।

 

कसे कसे थे बचपन के शिकंजे सारे ,

खुले हांथों से अब अपनी जवानी में रंग भरना चाहता हूँ ।

 

निगाह ए रूबरू हो जिगर चाक चाक ,

हो मोहब्बत जब भी क़ामिल जिस्म ख़ाक ख़ाक हो ।

 

खुरदुरे सिक्के भी चल जाते हैं राह ए फकीरी में ,

फ़क़ीरों की दुआओं में यगना वाली बात होती है ।

sad shayari 

सब्ज़ बागों में सपने तलाशती ये नज़र ,

आज मौसम का मिजाज़ बड़ा यगना है ।

 

फ़ितना गीरी रह रह के दिल में कसकती है ,

कोई और सूरत देखि नहीं सूरत ए यगना के बाद ।

 

लकीरें हमारे हांथों में कम न थी ,

तक़दीर उनकी यगना होगी जिन्हें तू बेइन्तेहा मिला ।

 

देर रात जब सरहदों पर बात चलती होगी ,

कुछ ख़्वाब जुगनुओं से आँखों में चमकते होंगे ।

love shayari 

शहर शहर को देखने लगता है तेरे आने के बाद ,

गोया क्यों कर कहूँ की मेरे शहर में यगना सेहर नहीं होती ।

 

इश्क़ के ज़ानिब भी कुछ किया करो ज़ाहिर ,

बस सुबह ओ शाम के दुआ सलाम से दिल की नज़्मे पूरी नहीं होती ।

 

शौक़ हमें ही था बर्बाद होने का वरना ,

वरना मोहब्बत की सियासतें इतनी यगना नहीं होती ।

 

वो नज़रों से बयान बाज़ी वो हाज़िर ए शबाब ,

ज़ाहिर सा हो रहा है इश्क़ ए ज़ानिब सा बुरा हाल

 

ज़ाहिर है मेरा हाल ए दिल तेरे वज़ूद से ,

चाहे इसे आबाद रख चाहे खाना बदोश कर ।

 

उन नज़रों से हाज़िर जवाबी मांगती है नज़र ,

जिन नज़रों के हाज़िर नाज़िर नज़रें बिताई तमाम उम्र

pix taken by google