ये इज़हार ए इश्क़ है तल्खियों में बयाँ होगा 2line attitude shayri,

0
2424
ये इज़हार ए इश्क़ है तल्खियों में बयाँ होगा 2line attitude shayri,
ये इज़हार ए इश्क़ है तल्खियों में बयाँ होगा 2line attitude shayri,

ये इज़हार ए इश्क़ है तल्खियों में बयाँ होगा 2line attitude shayri,

ये इज़हार ए इश्क़ है तल्खियों में बयाँ होगा ,

लोग जल के मर जाएँ निगाह ए शोख में अपनी बला से ।

 

कितने डूबे हैं कितने इस पार पड़े हैं ,

तेरी मदमस्त निगाहों में तैरने को जाने कितने तैयार खड़े हैं ।

 

लोग आये आकर चले भी गए ,

इस तरह ज़माने का क़ाफ़िला आगे बढ़ता रहा ।

 

लोग जलते हैं तो जल के ख़ाक हो जाएँ ,

हमने आतिश ए शहर को जलवा ए यार तेरे होठों के तबस्सुम पर सजा के रखा है।

 

साद ए गुल दिल था सब्ज़बागों की दरक़ार न थी ,

जाने क्यों लोगो से इतनी सी ख़ुशी देखी न गयी ।

 

बंद जँगलों में चिलमन उढा के रखते हैं सूरत ए फ़ानी वाले ,

जाने कब क्या देख के लोग जल जाएँ ज़माने वाले ।

2line attitude shayari 

कल तेरी बारी थी तूने मेरे ज़ख्मों में नमक डाला था ,

आज फिर वक़्त है मेरा रंजिश ए ख़्यालात तुझ मैं निकालूँ कैसे ।

 

सोने वालों के साथ सोते सोते थक के सो जाती है तक़दीर ,

फिर किसी और मुशाफिर के साथ सफर पर निकल जाती है तक़दीर ।

 

ज़िन्दगी हमको नागवारा गुज़री ,

लोग समझे हम ग़म ए ज़िन्दगी को गवारा न हुए ।

 

आजकल नाज़नीनों ने तूफ़ान उठा रखा है ,

लोग कहते हैं सब मरेंगे मिजाज़ ए इश्क़ का तक़ाज़ा है ।

 

ज़माने की परवाह उतनी ही ज़रूरी है मौसकी के लिए ,

लोग मिल जाएँ मरते वक़्त मौज ए तिश्नगी के लिए ।

 

हँस के मिलते हैं लोग महफ़िल में,

अब महफ़िल ए रानाईयों में वो नज़ाक़त न रही ।

 

लोग साफ़ मुकर जाते हैं कश्म ए वादों से ,

अब तो फ़िराक ए शहर में भी तेरी वफ़ा ए इश्क़ का हमसाया है ।

literature poetry 

जैसे तैसे कारवाँ निकला था राह ए मंज़िल को ,

साथ छूटता गया और लोग तन्हा होते गए ।

 

भरी भीड़ों में हादसे हसीं हुआ करते हैं ,

लोग होते हैं माह ए ज़बीन दिल ग़मज़दा रहा करते हैं ।

pix taken by google