रंजिशें तो पुख्ता थी दो दिलों की मगर one line thoughts on life in hindi,

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रंजिशें तो पुख्ता थी दो दिलों की मगर one line thoughts on life in hindi,
रंजिशें तो पुख्ता थी दो दिलों की मगर one line thoughts on life in hindi,

रंजिशें तो पुख्ता थी दो दिलों की मगर  one line thoughts on life in hindi,

रंजिशें तो पुख्ता थी दो दिलों की मगर ,

साँवरे के दो मतवारे नैन धोखे से मार गए ।

 

इश्क़ जैसा कुछ होता नहीं ज़माने में ,

ख्वामख्वाह लोग तुले हैं ज़िन्दगानियाँ लुटाने में

 

नज़र में ज़ोर कमर में बल पड़ते हैं ,

जब ऊंची इमारतों वाले बुरी नज़र से फुटपाथ के बासिंदों को तकते हैं ।

 

किसी तल्ले में छुप लो ऊँची ईमारत के ,

सियासी घुन हैं तबाही कह कर मचाएंगे ।

sad shayari

अगर तगाड़ी फावड़ा रेजा बेलदार से बनती ईमारत ,

शहर भर में मज़दूर फुटपाथ पर भूखा न सोता ।

 

ज़मीन ए ख़ाक से लेकर सीमेन्ट की सिल्लियों तक ,

जाने कितनो की जाने दबी होगी तब इमारतें पत्थर हुयी होगी ।

 

ज़मीन का मालिक मर गया ज़र्रे ज़र्रे के लिए ,

ईमारत ए तामीर में उसका नहीं नाम ओ निशाँ मिलता ।

 

कहते हैं ईमारतें भी सांस लेती हैं ,

गोया दीवारों के ईंट गारों में रूहानी मुरादों का अब भी कब्ज़ा है ।

 

दीवारों पर आज़ाद ए क़ौम चस्पा कर के ,

राह ए फकीरी में कोई संत ईमारतें औरों के नाम करता चला गया ।

 

सुना है लाख नफरतों के बीच शहर भर में ,

बस एक हमारे इश्क़ की हवा हवा सी है ।

 

दो घूँट की बादाकशी ने बदनाम कर दिया उनको ,

जो ताउम्र चलते रहे सीना निकाल के

 

ज़िन्दगी के पथरीले रास्तों पर दो साये साथ चल नहीं सकते ,

जब एक होता है गुमनाम तो दूजा ठहर सा जाता है ।

 

ग़म ठहरता नहीं है पहलू में ,

दिल न जाने क्या तलास करता है ।

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दो चार जुमलो से गर न पेट भरे ,

कलेजा मुँह को आता है इश्क़ ए ज़ौक़ फरमा के ।

 

अब दम फूलता है मेरा रह रह कर ,

तेरी यादों का गुबार ज़्यादा है ।

 

जो एक टुकड़ा है तेरे हिस्से का वो तू लेले ,

मैं ज़मीनी ज़र्रे पर बसर कर लूँगा ।

pix taken by google