रात की बंदिशें हों लाख सही inspirational quotes,
रात की बंदिशें हों लाख सही ,
कब अंधेरों में छुपे हैं आतिश ए जिगर रखने वाले ।
अंधेरों में भी ज़र्रा ज़र्रा जहां का रोशन है ,
हौसला ए हुनर चरागों के जज़्बा ए जिगर का देखो ।
पत्थरों को चीर कर पानी का रुख़ मोड़ लायी हैं ,
हौसला लहरों का है जिनकी मौजें नदियों को समंदर से जोड़ लायी हैं ।
हौसला रख वक़्त बदलते देर नहीं लगती ,
अहमियत रखने वाली शख़्सियत कब कहाँ वक़्त की मोहताज़ होती हैं ।
हौसलों से आँधियों का रुख़ मोड़ देंगे ,
ज़माने को ख़बर क्या थी ये नादाँ परिंदे आसमानी ऊंचाइयों की बेड़ियाँ तोड़ देंगे ।
कभी सफ़हों से इल्म को आज़ाद करके देखो ,
ये सुनहरे हर्फ़ अंधेरों में खुद अपना रस्ता बनाएंगे ।
कितने दफ़न हैं कितने कफ़न ओढ़े खड़े हैं ,
इन क़िताबी कब्रों में जिनाद जैसे खयालात सोये पड़े हैं ।
उजले हर्फों वाली सुनहरी किताबों से सूरमा निकलते हैं ,
जो ज़माने में फैले अंधेरों के जाहिलों से अकेले जंग लड़ते हैं ।
दिखता था चेहरे पर तेरे मेरी मोहब्बत का ख़ूबरू सा असर ,
बिछड़ के मुझसे दश्त ए चेहरे की रंगत बदल गयी ।
सब्र रख अँधेरा चाहे जितना घना हो ,
जिसकी तक़दीर में सेहर न हो ऐसी कोई रात नहीं ।
ख़्याल उठ रहे हैं अंजुमन में झुरमुट की ओट से ,
घायल हैं कई गुल यहां सब्र ए शबनम की चोट से ।
दिखने लगा था तेरी तबीयत पर भी मेरी मोहब्बत का असर ,
बिछड़ के मुझसे तेरी तस्वीर की नज़ाक़त बदल गयी ।
बिख़रे पड़े हैं साहिलों पर समंदर के कितने मोती ,
तह ए दिल में छुपा रखे थे ज़मीन को ख़बर तक न थी ।
शायद कभी दिल पसीझ जाए सय्याद का ,
गुलों की मुस्कुराहटों के दम पर दुश्मन ए यार को भी रिझाये रखिये ।
गुलों के जिस्म से न हो जाए रंग ओ बू नदारद ,
पत्थरों के दिलों में लहू के चराग ए आफताब जलाये रखिये ।
pix taken by google