रात की सरगोशियों में हाल ए दिल की बयानी whatsapp status,
रात की सरगोशियों में हाल ए दिल की बयानी ,
सुबह का आगाज़ भी ग़ालिब की ग़ज़ल सा निकला ।
तन्हाइयों का सहारा कभी महफ़िल ए रानाइयाँ का हमसफ़र ,
मैंने जब भी पुकारा मुझको मेरे साथ मिला ग़ालिब का सुखन ।
जब कभी गुज़रा तेरे शहर से मैं ,
तेरे रंग ओ बू के क़हर से खुद को मदहोशी में पाया ।
बेमुरव्वत की मगज़मारी थी ,
कब तक टूटने से बचता दिल पत्थरों को ख़ुदा करके ।
कभी मंज़िल नहीं मिलती तो कभी कारवाँ नहीं मिलता ,
मोहब्बतों के शहर में मोहब्बत का निशाँ नहीं मिलता ।
उम्रें गुज़र गयीं तगादा किये हुए ,
एक जानवर से ज़्यादा वफ़ादार न मिला ।
जिस दौर ए मोहब्बत से कभी गुज़रे नहीं ,
उस वाकिया ए मंज़र का ग़म तमाम उम्र रहा ।
वक़्त से पहले तारों में झनक होती होगी ,
साज़ परवाज़ पकड़ता है एक उम्र के बाद ।
हमने तो मोहब्बत की सज़ा पायी है ,
तुमने किन गुनाहों के लिए उम्रें ज़ाया की ।
ज़िन्दगी गुज़र गयी इबादतों में जिनकी ,
एक उम्र के बाद उनकी पेशानी पर निख़ार आया है ।
तुझको एक उम्र का पछतावा है ,
इश्क़ में लोग बस यूँ ही सदियाँ गुज़ार देते हैं ।
ख़्वाब बुनते बुनते ख़ुद के आशियाने का ,
रफ्ता रफ्ता नज़रें पथरा गयीं शायद ।
ये इमारतें भी उतनी ज़र्ज़र हैं ,
जितना हमारा हाल ए दिल बदहाल और खस्ता है ।
तमाम उम्र की कमाई ना समझ ,
इन अश्क़ों के अलावा इश्क़ के सगूफे और भी हैं ।
मुरझाये गुलों पर एक मुस्कान की तलब रखता है ,
ग़ालिब का सुखन बेज़बानी में भी हर ज़बान की लभक रखता है।
ख़ुद की रूहों के सुकून के वास्ते ,
कुछ गुनाहों से तौबा कर ली कुछ गुनहगार हमने माफ़ किये ।
मैं अन्जान मुसाफ़िर उम्र तन्हा सफ़र ,
ज़िन्दगी खुसरों की पहेली कभी ग़ालिब की ग़ज़ल ।
इबादत ग़ाहों में लगने लगे ताले जब से ,
लोग ग़ालिब के सुखन को ही सनम कहने लगे ।
pix taken by google
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