रिश्तों के सूखे दरख्तों को मतलब की दीमक निगल गयी sad shayari ,

0
1730
रिश्तों के सूखे दरख्तों को मतलब की दीमक निगल गयी sad shayari ,
रिश्तों के सूखे दरख्तों को मतलब की दीमक निगल गयी sad shayari ,

रिश्तों के सूखे दरख्तों को मतलब की दीमक निगल गयी sad shayari ,

रिश्तों के सूखे दरख्तों को मतलब की दीमक निगल गयी ,

इस तरह मिटटी का जड़ों से  तर्क ओ ताल्लुक़ ख़त्म हुआ ।

 

कुछ लफ्ज़ हैं जो दिल तक असर कर जाते हैं ,

वैसे दर्द का रूहों से कोई ताल्लुक़ नहीं होता ।

 

जनाज़े लाख निकले हों जिस्मों के ,

कब्रों की दबी रूहों में गर्माहट आज भी है ।

 

उनके शहर में आज चाँद जगा है सारी रात ,

हमने भी शब् ए फ़िराक की तफ़री में आँखों को सोने न दिया ।

hindi shayari 

मोहब्बत में संजीदगी के ज़माने बिसर जाइये ,

ज़ौक़ ए आशिक़ी के दौर में क्या किसी का नाम याद रहता है ।

 

सातों दिन कारोबार ए इश्क़ में खुधे रहना ,

रोज़गार ए इश्क़ में भी एक इतवार होना चाहिए ।

 

क्या एक मुख़्तसर सी मुलाक़ात जानलेवा थी ,

बाद रुखसत के भी तेरे कूचे में उम्रें जाया की ।

 

दौर ए वक़्त के साथ मिलने जुलने के तौर तरीके बदल गए ,

न दुआ सलाम सीधा वेयर यू फ्रॉम में उतर गए ।

 

खुद के ख़्वाबों से ताल्लुक़ात नहीं ,

कारोबार ए इश्क़ में जाने कैसे कैसे ख्यालों के कारोबार हुआ करते हैं ।

 

शब् ए फुरक़त में आरज़ू ए दिल बह गयी सारी ,

इन अश्क़ों की बारिश में भी बस जुस्तजू ए चराग जलते रहे ।

 

ग़म ए गर्दिश में उम्रें गुज़ारी ,

शेर ओ शायरी में बस लुत्फ़ ए ज़िन्दगी के फ़लसफ़ों की नुख्ताचीनी है ।

 

दिलों में क़ामिल ए मोहब्बत की आरज़ू लेकर ,

मैं निकल आया हूँ शब् ए फुरक़त में जुगनुओं का दरियाओं की लहरों पर नज़ारा करने ।

love shayari 

जो मयकदों की मयकशी से बच निकले ,

वो ही आजकल शायरों की महफ़िल में जलवाफरोश नज़र आते हैं ।

 

फ़नाह ए इश्क़ ही हो गर मंज़िल ए मक़सूद ,

तबाह ए ज़िन्दगी कौन परवाह किया करता है ।

 

आह भी उठी नहीं मेरे क़फ़स से ,

मेरे ज़िंदा होने का सबूत ज़माना मांगता है ।

pix taken by google

Top post on IndiBlogger, the biggest community of Indian Bloggers