लाइलाज़ है इश्क़ love shayari ,
लाइलाज़ है इश्क़ ,
जान बूझ कर करने वालों को सज़ा ए मौत मिलनी ही चाहिए ।
पलकें जो खोल तू तो तेरे दिल में झाँक लूँ ,
कहते हैं आँखें भी दिल का आइना होती हैं ।
आँखें ही हैं गवाही तू कभी मेरा प्यार था ,
संगदिल हुआ ज़माना ज़ालिम तेरे बग़ैर ।
अधर में लटका है इश्क़ सर कहीं टाँग कहीं है ,
अभी यहीं था दिल अब पता नहीं ये बात सही है ।
सदके उतारे तेरे आ जान वार दूँ ,
सर से दुपट्टा जो तेरे सरके इमान वार दूँ ।
इंसान मिटटी का बुत है शीशे से हैं अरमान ,
दो जख को बाँट डाला लेकर हाँथ में बाइबिल गीता क़ुरान ।
दोजख के ख़ुदा राम तुझे सज़दे में दे दूँ ,
एक मेरा ख़ुदाया है जो मुझे मिल नहीं सकता ।
आलम ए जश्न ए तन्हाई भी अज़ीब है ,
आस्मां पर सजी चाँद तारों की बारात ,
ज़मीन का ज़र्रा ज़र्रा ख़ाक होने के कू ब कू है ।
तू नहीं तो जुस्तजू ए यार सही ,
कू ब कू हसीं सा मंज़र रूबरू तेरे कुछ हसीं नहीं ।
ख़ुदा भी ख़ुदाई छोड़ देते हैं ,
जब गुज़रते हैं मेहबूब की सुर्ख गलियों से जनाज़े भी कफ़न ओढ़ लेते हैं ।
शर्त है यूँ न सर ए आम रुख़सार से पर्दा हटाइये ,
बेमुरव्वत में मरेगे बेगुनाह शब् ओ सेहर ज़रा नज़रें बचाइए ।
मोहब्बत का नाम पुरानी किताबों में पलटता था कभी ,
अब बस लोग इश्क़ करके पलटते रहते हैं ।
नक़ाब ओढ़ने वाला शख्स फ़रेबी नहीं होता ,
कुछ ज़माना ए दस्तूर का भी हिज़ाब होता है ।
हुनरबाज़ी कहूँ या जाल साज़ी मानू ,
जब बी अपना वक़्त आया बड़ा बेवक़्त आया ।
चमड़े की ज़बान सा फिसला इधर उधर ,
गोरी चमड़ी सा इश्क़ है देखा जिधर किधर ।
उजली उजली साँझ सुनहरी धुँधला धुँधला अम्बर है ,
नील गगन पर जगमग तारे शोभित चाँद शिरोमणि है ।
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