वतन के सिपाहियों की हौसला अफ़ज़ाई की खातिर patriotic shayari,
वतन के सिपाहियों की हौसला अफ़ज़ाई की खातिर ,
दिये में दिल जलाएं वतन परस्तों की सहादतो की खातिर ।
फफक के रो दिये दो नैन सहीदों की सहादत पर ,
बुझा के घर वो अपना जहां भर में उजाला कर गया ।
अबकी दिवाली में दिये नहीं दिल जलेंगे ,
सहीदों के घरों में मिटटी के दियों में आँसू मिलेंगे ।
भुला के रंजिशें दिलों की गले मिलते हैं ,
रोशनी के त्यौहार को रोशनी से गुलज़ार करते हैं ।
एक दिया घर को रोशन कर रहा ,
एक दिया सरहद पर दुश्मनो से लड़ रहा ।
हर रोज़ हो दिवाली हर ख़ास ओ आम की ,
जी जान से डटा है सिपाही ताकि रोशनी कम न हो मातृभूमि के शान की ।
नज़रों में झिलमिल सपने सजाये न दर पर बैठा मिले कोई ,
की मजलूम के कंधे को भी मज़बूत कंधे का सहारा मिले कोई।
दिलों में चैन ओ अमन के दीप जलने चाहिए ,
जहां भर की रोशनी के रोशनी से सुर ताल मिलने चाहिए ।
हर दिल को अंधेरों से उजाले की ओर ले जाए ,
दीपावली का सुहाना पर्व तब सम्पूर्ण कहलाये ।
दिये मिटटी के हों पीतल के हों या कोई धातु के ,
दिये की गरिमा बढ़ा दो बुझे दिल को भी एक सूरज दिखा दो ।
न एक घर में दिवाली हो न एक घर में दिवाला हो ,
न तड़पे भूख से कोई हर मुह में निवाला हो ।
है गर रामराज्य तो सबको समानता का अधिकार मिलना चाहिए ,
आसमानो में उजाले हो न हो किसी के घर में न अन्धकार रहना चाहिए ।
है सत सत नमन उन पूत की माओं को ,
जो ऐसे लाल जननी किया सर फ़क़्र से ऊंचा वतन का ।
हर बरस जवानो की सहादतो को पहला सलाम मिलना चाहिए ,
चराग रोशन हैं जिनके दम से उन जवानो को रोशनी का पहला पयाम मिलना चाहिए ।
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