शातिर निगाहों की धार बड़ी पैनी है Alfaaz shayari,

0
3471
शातिर निगाहों की धार बड़ी पैनी है Alfaaz shayari,
शातिर निगाहों की धार बड़ी पैनी है Alfaaz shayari,

शातिर निगाहों की धार बड़ी पैनी है Alfaaz shayari,

शातिर निगाहों की धार बड़ी पैनी है ,

ये इल्म होता है दो चार मोहब्बतों की ठोकरों के बाद ।

 

वर्क़ से हर्फ़ तक पैनी नज़र का फेरा था ,

दिल को फिर भी उन्ही मासूमियत ने घेरा था ।

 

बड़े बेशर्म बने कल तक फिरा करते थे जो ,

हम उनकी गलियों से क्या गुज़रे पगरे के ऊपर सऊँ सऊँ दीवार खड़ी कर बैठे ।

 

आजकल शाम ढलते ही न जाने रात क्यों रो देती है ,

जाने कौन सूरज था जो रातों को भी उजाला किया करता था ।

 

हर सोखी में गिरते हैं लाखों दिल ,

नाज़नीनों की अदाएं जान लेती हैं मगर , सीधा सीधा क़त्ल नहीं होने देती ।

 

अभी तो ये मौसम ए इश्क़ के नमूने हैं ,

लू के साथ भी गिरेगे ओले , शोले भी शबनमी होने हैं ।

 

बगुला भगत की होड़ है सियासती माहौल है ,

सज़ायाफ्ता फ़रारी मुजरिम दल बदलू उम्मीदवारों की दौड़ है ।

love triangle a heart touching short story 

चटक गयी कली पलास की ऋतू बसंत फिर आई ,

फागुन रंग में टेसू घुल गए देखो होली आई ।

 

खेल गयी तेरी नज़रें फिर से खेल अनोखा ,

बेरुख़ी था दिखावा हर लफ्ज़ था धोखा ।

 

अपना ही खून ए जिगर जब माँगता मुझसे हिसाब ,

वर्क़ कैसा हर्फ़ कैसा एक लहू एक रंग फैला ।

140 words shayari 

 

दागदार है आस्तीने सुफेद पोश वालों की ,

नकाबपोश वाले तो ख्वामख्वाह बदनाम हुआ करते हैं ।

 

दो चार दाग़ तो चाँद के चाँदनी में छुप जाते हैं ,

आस्मां पर कालिख़ बादलों की सूरज की रौशनी भी खा जाती है ।

 

यादों के दाग़ दामन में छुपाऊँ कैसे ,

राज़ गहरे हैं सर्द रातों में भिगाऊँ कैसे ।

 

कभी बने स्पाईडरमैन कभी सुपरमैन बना डाला ,

सरग में ही करोगे रास की कभी ज़मीन में भी ठहरोगे नन्द के लाला

 

हवा पे लिखी हुयी ग़ज़ल है नूरानी चेहरा तेरा ,

कुछ हर्फ़ और पिरो दूँ तो साज़ बज जाए ।

pix taken by google