शातिर निगाहों की धार बड़ी पैनी है Alfaaz shayari,
शातिर निगाहों की धार बड़ी पैनी है ,
ये इल्म होता है दो चार मोहब्बतों की ठोकरों के बाद ।
वर्क़ से हर्फ़ तक पैनी नज़र का फेरा था ,
दिल को फिर भी उन्ही मासूमियत ने घेरा था ।
बड़े बेशर्म बने कल तक फिरा करते थे जो ,
हम उनकी गलियों से क्या गुज़रे पगरे के ऊपर सऊँ सऊँ दीवार खड़ी कर बैठे ।
आजकल शाम ढलते ही न जाने रात क्यों रो देती है ,
जाने कौन सूरज था जो रातों को भी उजाला किया करता था ।
हर सोखी में गिरते हैं लाखों दिल ,
नाज़नीनों की अदाएं जान लेती हैं मगर , सीधा सीधा क़त्ल नहीं होने देती ।
अभी तो ये मौसम ए इश्क़ के नमूने हैं ,
लू के साथ भी गिरेगे ओले , शोले भी शबनमी होने हैं ।
बगुला भगत की होड़ है सियासती माहौल है ,
सज़ायाफ्ता फ़रारी मुजरिम दल बदलू उम्मीदवारों की दौड़ है ।
love triangle a heart touching short story
चटक गयी कली पलास की ऋतू बसंत फिर आई ,
फागुन रंग में टेसू घुल गए देखो होली आई ।
खेल गयी तेरी नज़रें फिर से खेल अनोखा ,
बेरुख़ी था दिखावा हर लफ्ज़ था धोखा ।
अपना ही खून ए जिगर जब माँगता मुझसे हिसाब ,
वर्क़ कैसा हर्फ़ कैसा एक लहू एक रंग फैला ।
दागदार है आस्तीने सुफेद पोश वालों की ,
नकाबपोश वाले तो ख्वामख्वाह बदनाम हुआ करते हैं ।
दो चार दाग़ तो चाँद के चाँदनी में छुप जाते हैं ,
आस्मां पर कालिख़ बादलों की सूरज की रौशनी भी खा जाती है ।
यादों के दाग़ दामन में छुपाऊँ कैसे ,
राज़ गहरे हैं सर्द रातों में भिगाऊँ कैसे ।
कभी बने स्पाईडरमैन कभी सुपरमैन बना डाला ,
सरग में ही करोगे रास की कभी ज़मीन में भी ठहरोगे नन्द के लाला ।
हवा पे लिखी हुयी ग़ज़ल है नूरानी चेहरा तेरा ,
कुछ हर्फ़ और पिरो दूँ तो साज़ बज जाए ।
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