सपोला समझकर छोड़ देते हैं funny shayari ,
सपोला समझकर छोड़ देते हैं लोग,
इसीलिए सांप से ज़्यादा ज़हरीले लगते हैं लोग ।
उस नादाँ को समझाएं कैसे ,
नागपंचमी है बच्चों को दूध पिलायें कैसे ।
सड़क पर टकटकी लगाए बैठा है ,
साँप का बच्चा इब्न ए इंसान से अच्छा है ।
पत्थरों पर चढ़ गए होंगे क़्वींटलों तेल गुड़ ,
यहाँ कुपोषण से ग्रसित हर दूसरा बच्चा है ।
आज दूध पिलाया कल दूध पिलाने वाले ही कुचल डालेगे,
आज पूजा है कल तेरा जनाज़ा भी निकालेंगे ।
पिटारी में छुपा कर भगवान् बना डाला ,
फिर बीन बजा कर नागिन डांस करा डाला ।
दूसरों का पेट पलने वाला ही भूखा रह गया ,
पैसा बटोर कर सपेरा आगे बढ़ गया ।
दिल के सेहराओं से इश्क़ का बादल नहीं गुज़रा ,
और ग़मों की बरसात भी थमने का नाम लेती नहीं ।
यूँ ही उठता नहीं धुआँ बनके झरनों का पानी ,
गहरे दबे पत्थरों को बारिश के बूँदों से चोंट लगती है ।
जिस चेहरे से क़त्ल हुआ है क़ातिल ,
वो आईना खुद किसी का रहनुमा न था ।
आधी अधूरी प्यास आधे अधूरे लबों के जाम पिला के ,
क़ातिल ने अपना काम किया आग बढ़ा के ।
अब भी कोई राह ख़ाली नहीं होती ,
अब भी कोई सफर तन्हा नहीं होता ।
बस साथ होता है साया ,
तेरे जैसा रहबर नहीं होता ।
खून नहीं निकलता बस रूहें तर करते हैं ,
वो लफ्ज़ जो बेज़बानी में क़त्ल करते हैं ।
साथ लिखी साहिलों पर इबारतें जितनी ,
कुछ लहरों ने मिटाया कुछ आसमान से देखा न गया ।
कभी आसमान के कटोरे को उलटने का मन होता है ,
बारिश से धुली चाँदनी की चासनी में तारों को डुबो कर चाटने का मन होता है ।
दरिया के भँवर में मन चंचल शीतल जल ,
ठहरा जो भिगोने में तिपता व्याकुल पल पल ।
घर के ज़ीने से टपकती बूँदों को दरिया की तलास है ,
समंदर की बहती लहरों को आशियाना मिल गया हो जैसे ।
जलते सरारों में दहक बाकी है ,
अभी बरसा ही कहाँ है बादल ज़मीन से उठते उजालों में लहक बाक़ी है ।
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