सरकार की नलजल योजना पर एक विधवा की कथा व्यथा corruption of india a short story ,
ये कहानी उस विधवा बेटी की है जिसे पति की मौत के बाद ससुराल में पनाह नहीं मिली , आखिर कार हारे दांव उसने
अपनी ज़िन्दगी मायके में ही गुज़ारने का फैसला किया , इससे पहले हमने एक कहानी सुनायी थी साँझा चूल्हा , जिसमे
राघव की बेटी शादी के बाद ही विधवा हो गयी थी , अब बुढ़ापे में राघव जी की सेवा उनकी वही बेवा बेटी कर रही थी ,
भाइयों ने राय मश्वरा करके कुछ ज़मीन विधवा बहन को देदी जिसमे दो चार कमरे कच्चे थे , फिर सरकार की योजना
आई नल जल योजना उसके तहत मेहनत मसक्कत के बाद ग्रामपंचायत से लिखवा कर एक हैंड पंप लगवाने की अर्ज़ी
पास करवाई गयी , २०१३ से मंत्री मथानियों के दफ्तरों के चक्कर लगाए गए , इस सब काम को राघव जी का बड़ा बेटा
जी जान लगा कर कर रहा था ।
वो सरकारी नौकरी से रिटायर हो चुका था , दो साल के अथक परिश्रम के बाद मई १०१५ में आखिर बोर करने वाले का
फोन उसके पास आया दिन भर इंतज़ार के बाद आखिर रात को एक बजे बोर वाले ने बोला आप जल्दी आइये आपके यहां
बोर होने वाला है , विधवा का भाई गाँव से लगभग २० किलोमीटर दूर शहर में था , आधीरात को ही गाँव के लिए निकल
पड़ा और जब गाँव पंहुचा तो बोर वेल मशीन वाले का फोन स्विच ऑफ बताने लगा , उन्होंने आस पास के इलाके में
जाकर देखा वहाँ कोई बोर की मशीन नहीं थी , उन्होंने सोचा रात की वजह से कहीं सो गया होगा , हो गया अब सुबह
तक आएगा , सुबह हुयी भाई भतीजों ने उठ बिहन्ने झाड़ी झंकाडी साफ़ की ताकि बोर वाले को बोरिंग में दिक्कत नहो ,
समय बीतता गया उन्हें लगा दोपहर तक बोर वाला आएगा , दोपहर बीती दिन बीता महीने बीते विधवा का भाई फिर
नेता जी के घर गया नेता जी बोलै महाराज १५ जून के बाद बोरिंग होना बंद हो जाती है , आप अगले साल आइये साल
गुज़रता रहा उस ज़मीन में आने वाले ढर्रे पर खेत बुब गए , गर्मी आई फिर विधवा का भाई नेता जी के पास गया नेता
जी के पी. ए. ने एक रजिस्टर में कम्प्लेंट लिखवाई और विधवा के भाई को चलता किया , साल दर यही सिलसिला
चलता रहा १६ भी बीत गया आखिर कार नलजल योजना का हैंड पम्प नहीं लगा , विधवा का भाई हार नहीं माना सबके
मना करने के बावजूद वो एक बार फिर नेता जी के पास बोर की अर्ज़ी लेकर के गया , अबकी बार नेता जी ने बोला
सरकारी नौकरी में थे खूब रूपया
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सोटे होंगे , एक बोर करवा नहीं देते , बेचारे रिटायर्ड भाई ने बोला जब नौकरी में रहे कुंआ खुदवाये थे अब वो काम नहीं
करता , अगर मेरे पास इतना रूपया होता तो मैं आपके दरवाज़े पर आता ही क्यों , और मन मिचोट कर चला आया । घर
से लगभग तीन सौ मीटर पर एक हैण्ड पम्प है जिससे पानी भरकर विधवा अपना और अपने पिता का दैनिक जीवन
निर्वाह कर रही है ।
दोस्तों यहां ऊपरी कागजी तौर पर तो बहुत सी योजनाए बनती है वो आम आदमी तक पहुंचते पहुंचते कहाँ गुम हो जाती
है इसका पता आम आदमी को कभी नहीं चलता , और इस विधवा का हैण्ड पम्प किस घर को पानी दे रहा है ये भी आज
तक कोई नहीं जान पाया है ।
आखिर बोर मशीन गाँव तक तो गयी फिर कहाँ उड़नछू हो गयी ये बहुत बड़ी पहेली है , हो सकता है किसी रसूकदार के
घर विधवा का बोर हो गया हो गया हो । खैर ये आज़ाद हिन्दुस्तान में बहुत आम बात है ।
pix taken by google