सराबोर है हर रक़्स चस्म ए गुल की तरह friendship shayari in hindi ,
सराबोर है हर रक़्स चस्म ए गुल की तरह ,
मेरा हमदम मेरा हबीब है अंजुमन में बुल बुल की तरह ।
गिरफ़्त में ख़ुद की खौफ ए लिबास में रह के ,
आरज़ू ए यार से महफ़ूज़ियत की बात होती है ।
कच्ची सड़क से आरहा था हुस्न ए क़ाफ़िला इधर ,
रुख पर पड़ी नज़र तो रास्ता बदल गया ।
यहाँ नूरानी चेहरा सम्हाला नहीं जाता ,
लोग जाने कैसे दामन में अदा ए आफ़ताब छुपाये फिरते हैं ।
नक़ाब उठ रहा है रुख़सार से आहिस्ता आहिस्ता ,
फ़लक़ से क़यामत उतर रही हो ज़मीन पर जैसे आहिस्ता आहिस्ता ।
पत्थरों पर गिरी शबनमी बूँदें ,
जाने सरमा के कहाँ जाती हैं ।
बन सकते हो गोया तो हबीब बनो ,
बदनसीबों की तक़दीर ग़र देखी नहीं जाती ।
लाइलाज़ सही नामुमकिन तो नहीं ,
दर्द ए दिल के ख़ातिर कोई ढंग का हबीब मिला ही नहीं ।
सुरख़ाब ख्यालों से रोशन उसके जहाँ सा था ,
मेरा हबीब तो बस सादा चाँद सा था ।
फ़िज़ा के नक़्स से उतरे हो दीदार ए जान बनकर ,
मिले हो रहना दिलों में हबीब ए यार की तरह ।
ज़मीन के ज़र्द पत्तों को खून ए सुर्ख करके ,
फ़लक़ से पूछते रहना मेरा हबीब ए यार किधर है ।
बेज़बान बनकर सह जाता है हर यातना ऐसे ,
हबीब ए यार न हो ख़ुदा हो जैसे ।
ज़मीदोह थे जब तक सारे साँप भले थे ,
थोड़ी उमस बढ़ी खुली सड़क पर निकल पड़े ।
गैरों से क्या कम था जान ओ माल का ख़तरा,
जोखिम उठा लिया जो आस्तीन के साँप पाल कर ।
सीने में धड़कता है दिल खुद को महफूज़ समझ कर ,
और जलता रहा इंसान पत्थर के मकान में ।
बेख़ौफ़ निकल जाते हैं ये रात के मंज़र ,
खतरा ए निगेहबानी का जाएज़ा लिए बग़ैर ।
एक तरफ जान का ख़तरा एक तरफ ईमान का ख़तरा ,
खूंखार सियासियों से हबीब बच के जायेगा किधर ।
रात एक वहेम का ख़तरा है ,
सामने सुबह बाहें पसारे खड़ी है ।
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