सियासतदानों के ठाठ के किस्से सुनकर थक गया आदम funny political shayari,

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सियासतदानों के ठाठ के किस्से सुनकर थक गया आदम funny political shayari,
सियासतदानों के ठाठ के किस्से सुनकर थक गया आदम funny political shayari,

सियासतदानों के ठाठ के किस्से सुनकर थक गया आदम funny political shayari,

सियासतदानों के ठाठ के किस्से सुनकर थक गया आदम ,

अब रहनुमाई मादर ए वतन में आदम ए आम की भी होनी चाहिए।

नसीहत ए अवाम कहती है ,

क़लम गर हो जाए विद्रोही सियासी बत्तीसियाँ हिल जाती हैं

पुरानी परिपाटियों की दलीलों की भी पोल खुल जाती हैं,

बहुत माजे होंगे सियासियों ने तालाब की काली मिटटी से मंजन।

ये दौर हैं नौजवानों का इनके चेहरे चमकने चाहिए ।

बन्दर बाँट होकर के ज़मीने हो गयीं ज़ाया,

फसल के सब्ज़ गुल तपती धूप में अब झुलसने नहीं चाहिए ।

हक़ किसका कौन मार जाए पता न चले ,

अब पथराई आँखें गीली हों तो उनमे आंसू ख़ुशी के होना चाहिए ।

फूट कर फफोले घाव देते हैं ,

दिलों की चोंट से न अब कोई टीस उठनी चाहिए ।

सियासतदानों के कानों में अगर अब भी जूँ न रेंगे,

मिले न कडुवा तेल तो घासलेट के ही दो बूँद डालें

यूँ तो देते नहीं मुफ्त में किसी को भी नसीहत हम ,

मगर बात अवाम की होतो नसीहत मुफ्त में बाँटे ।

 love shayari

लैण्ड लॉर्ड की कथा व्यथा ,

फसल ए गुल निगल गयी माहुर कभी बारिश में भी खेत जले ।

जो बच गए मौसम से ले देके ,

फूटी किस्मत पर ओले पड़े ।

सावन की हरियाली गयी मुआवजा नेता डकार गए ,

क्रेडिट कार्ड के लोन का कर्ज़ा जस का तस पसरा सर पर ।

बिटिया की शादी भी तै है फैला मातम घर घर पर ,

बीघा बँटे खेत बचे खेत कटे फिर प्लॉट बने

भूमि माफिया से लेकर सरकार तक की नज़र रहे ,

हो फोर लेन या नेशनल हाईवे फंसे जो तै घर बार लुटे ।

बच बचा कर निकल गए फिर,

सामने लट्ठतोड़ पट्टीदार खड़े

हर हिस्से का अपना किस्सा ,

बाग़ बगीचा सूखे चच्चा

ताल तलैया सब्ज़ बाग़ मरुस्थल ,

चीख चीख कर कहते लैण्ड लॉर्ड की कथा व्यथा ।

 sad shayari

pix taken by google