हाल ए दिल से बड़े बेचैन लगते हैं जनाब friendship shayari in hindi,
हाल ए दिल से बड़े बेचैन लगते हैं जनाब ,
कहीं पेशानी पर सिकन की वजह मैं तो नहीं ।
मज़लूम तो मज़बूरियों में सोते थे ,
रईस तो शौकियाना भी फुटपाथ अजमास लेते हैं ।
बेचैन रूहों को कभी देखा है ,
मर के भी साँस कैसे लेती हैं ।
कुछ तो तज़बीजती हैं ये खामोश नज़र और पलक की ज़ुम्बिश ,
उफ़ कोई बेचैन सरारा जलने को है ।
ये तबाही ए मंज़र ये आलम ए दस्तूर ,
ये तिश्नगी फिर क्यों हैं ग़म ए बर्बादियों के बाद ।
न जिस्म पिघलता हैं न रूह तबाह होती हैं ,
दिलों के टूटने की कहीं कोई आवाज़ नहीं होती ।
शहरी अवाम में बेचैन रहते हैं ,
पहाड़ी परिंदों को सियासत नहीं आती ।
उन्हें नींद आती नहीं ,
हमें ख़्वाबों में दीदा ए यार की तलब है ।
रात ने रौंदा था जितने तकिये तले ,
ख़्याल उससे कहीं ज़्यादा सुबह फर्श पर फैले मिले ।
मौत खींच के लाई थी तेरे कूचे में ,
बेचैन रूहों को तेरे दर पर आके पनाह मिली ।
खुद के गुनाह जिन्हें दिखते नहीं ,
वही अक्सर दूसरों पर इल्ज़ाम लगाते रहते हैं ।
यूँ तो नहीं की महरूम हैं रातें उससे ,
उसकी बेबहा यादों की सिरकत ख़्वाबों में मेरे आज भी हैं ।
जाने कौन ऐसा ख़ुदा होता होगा ,
जो ख़ुदा के बन्दों के क़त्ल ए आम पर ख़ुश होता होगा ।
जब से बगरा हैं घर घर सेटेलाइट चैनल का मकड़जाल ,
बच्चे दादा दादी कहानियों से महरूम रह गए ।
टूट कर वो पिघल रहा हैं बाहों में ,
अश्क़ों का क़तरा क़तरा दरिया में तब्दील हो रहा हो जैसे ।
टूटा टूटा सा दिल फ़लक पर चाँद आधा सा ,
बुझा बुझा सा राज़ ए गुल ज़मीन शबनमी ज़्यादा सा ।
ये जो इश्क़ के परिंदे है मज़हबों की परवाह नहीं करते ,
अपनी धुन और सादगी से मोहब्बत का काम किया करते है ।
तुम ख़ौफ़ खा जाते हो इश्क़ की गलियों में पग धरने में ,
हमें दिलों के टूटने का भय नहीं होता ।
pix taken by google ,