हिज्र ए तन्हाई में उठते धुँए की दास्तान होती है one line thoughts on life in hindi ,
हिज्र ए तन्हाई में उठते धुँए की दास्तान होती है ,
दबी दबी सी चिंगारियों में शोलों सी ज़बान होती है ।
बड़ी अदना सी हसरतें हैं दिल ए नाचीज़ की ,
इन हल्की सी मुस्कुराहटों से न दिल जिगर गुर्दा का क़त्ल ए आम कीजिये ।
हिज्र ए तन्हाई में जश्न ए रानाई से जंग वाज़िब है ,
गर दिल में हो मोहब्बत तो नफरतों से रंज वाज़िब है ।
वो कहते हैं शेर वहसी होते हैं ,
हमने रात की तन्हाई में शेरों को शेरो में हँसते देखा है ।
मेरी तन्हाई में ही गर तुझे तेरा दामन भिगाना था ,
गोया दो चार अच्छे बोल या भूले सुख़नवर कह दिए होते ।
hostel a short horror story based on a true event ,
कुछ थे नक़्स ए कदम उसकी राह पर ,
कुछ मेरी तन्हाई में उसके घर का रास्ता क़ामिल होता गया ।
इतना भी पुरज़ोर नहीं शाद की मैं गिर जाऊं ,
लड़खड़ाते कदमो को तेरे गम का ही सहारा है ।
रगों में गुल्थियाँ बधने लगी ,
तन्हाई में मौसम सर्द इतना है ।
खो गए सब दीन ओ मज़हब डर से रूहानी ख़ाक पर ,
रह गया बस एक क़ामिल इश्क़ अपनी ज़ात का ।
ज़बान ए साफ़ की खातिर ही जब वो बोलता होगा ,
ज़हन में उर्दू आती होगी जब वो ग़ज़ल सोचता होगा ।
खुद में घुसता हूँ कभी किरदार ए जानवर से मिलने को ,
बेआवाज़ कोई शैतान निकल आता है ।
इश्क़ बदला न इश्क़ ए सुख़नवर बदला ,
ज़माने के साथ बस जिस्मानी पुर्ज़ा बदला ।
रात के काजल से उरेखता था ग़ज़ल में अक़्स तेरा ,
सुबह आँसुओं से किताब ए इश्क़ सारी साफ़ मिली ।
घुप अंधेरों में सनाका बीत रहा ,
दिल ए बेज़बान जानवर सा कैसे ढाडस कर ले ।
तुम लफ़्ज़ों की उलझनों को शायरी समझो ,
हम बेज़बानी में हाल ए दिल तस्तरी में सजा के लाये हैं ।
सहते सहते इंसान भी बेज़बान हुए जाते हैं ।
मेरे शहर में रवायतें हैं ज़ुल्म ढाने की ,
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