है उसका ही रहम ओ करम वो ही ख़ुदा है festival shayari in hindi,
है उसका ही रहम ओ करम वो ही ख़ुदा है ,
जहां में बेज़बान जानवर भी माँ बोलता है ।
यूँ तो जहां में फ़रिश्तों की फ़ेहरिस्त लम्बी है ,
मगर बस माँ है जो हर बला में बेटे के साथ रहती है ।
करता है सरहदों की निगेहबानी माँ के लाडलों को मेहफ़ूज़ रखता है ,
देश का सैनिक भी अपनी माँ का लाल होता है ।
कमाल हैं दौर ए जिगर के फ़लसफ़े भी ,
दिल में क्या है ज़बान में क्या है कम्बख्त लिखता क्या है ।
मैक़दे तो गया था क़ाफ़िर भी पॉकीज़ाह ए क़दम ,
दाग दामन पर लगा आया आफत ए उल्फत के बाद ।
कोई ज़र के लिए लड़ रहा है कोई ज़मीन के लिए लड़ रहा है ,
माँ की ममता के आँचल तले हर एक लाल पल रहा है ।
क्या ख़बर थी घर के बाहर जो निकलेंगे क़दम ,
किसी की नज़रों की मीना में डूब जाएंगे हम ।
ज़बान में लर्ज़िश और लड़खड़ाते क़दम ,
इश्क़ के मारे कुछ एक नुमाइंदों ने मयकशी को सर ए राह बदनाम किया है ।
इश्क़ है ग़र गुनाह , गुनाह करते रहिये ,
दिल टूटे या जुड़े सबक लेते रहिये ।
वतन की सरपरस्ती में आगे बढ़ गए जो क़दम ,
वज़ूद ए दुश्मन के सीने का दम ख़म भी देखेंगे हम ।
दिखता है बेज़बानो पर भी इंसानी सोहबत का असर ,
पर जानवर उतने नहीं हिंसक जितना है आदम अबका ।
परिंदों ने ज़बान सीख ली चैन ओ अमन वाली ,
ज़माने ने पर काट दिए सैय्यादियों का हवाला देकर के ।
सबक बहुत हमने सीखा सत्य और अहिंसा वाले ,
अपितु धरा पर पाँव अडिग हैं पथ से नहीं पीछे हटने वाले ।
ज़िन्दगी कुछ भी हो कैसी भी हो ,
बहरहाल सपने हसीं दिखाती है ।
शब् ओ रोज़ की सोहबत में रहकर ,
जमाल ए यार की भी रंगत निखर गयी ।
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