ज़ख़्म होते हैं तो रो लेता हूँ funny shayari,
ज़ख़्म होते हैं तो रो लेता हूँ ,
सुर्ख रंग ए लहू अश्क़ों से धो लेता हूँ ।
हमने कई महफिलें लुटायी थी एक लाल रंग की ख़ातिर,
सुर्ख हुयी आँख बस एक वो हमारा न हुआ ।
हाल ए खू था मंज़िल ए रूबरू न हुआ ,
रगों में लहू बन दौड़ता है तेरा इश्क़ ता उम्र सुर्ख़रू न हुआ ।
एक उम्र खटा गयी इश्क़ ए तफ़री में ,
बस दिल ए फितना की रसूखदारी ख़त्म नहीं होती ।
बस ये लुक़्मे हैं सुर्ख आँखों के ,
वादी ए इश्क़ में गुलों पर सख़्त पहरा है ।
हुश्न पर पहरों की ख़ातिर चौकियाँ कोतवालियों में तब्दील हुईं ,
दिलों के चोट्टों को क्या कोतवाल रोक पाएंगे ।
चौकस निगाहें हर तरफ फ़िराक ए तफ़री ,
विसाल ए यार दिल में लब पर लेके ग़ज़ब की अना बैठा है ।
अब भी अरमान सँवर जाते हैं घुप अंधेरों में ,
राह ए मुफ़लिश में गुल मिलेंगे कोई खार नहीं ।
आफ़त ए इश्क़ का क़ारोबार सजा रखा है ,
वो झुकी पलकों से पूछते हैं मायूसी का माज़रा क्या है ।
एक हम ही नहीं आतिश ए इश्क़ में अपना नशेमन जलाने वाले ,
कुछ आतिश ए हुश्न ने भी अपना हाँथ जला रखा है ।
बात जितनी लम्बी हो थाह रात की उतनी गहरी हो ,
इश्क़ के दरियाओं की गहराइयाँ नहीं नापी जाती ।
क़ैद ए बामुशक़्क़त में जान जाती है ,
इल्म न था ए इश्क़ में बेमुरव्वत ही जान जाती है ।
दिलों की नादानी दिलों का टूटना बिख़र जाना ,
तज़ुर्बा ए इश्क़ की बतलाता है गिर के थम जाना ।
महफ़िलें सजा करती थी तन्हा दिलों की रात में ,
सबने ये समझा आशिक़ो का अच्छा खड़ा क़ारोबार हो गया ।
तेरा हर एक सुख़नवर समेट रखा था जज़्बात ,
मीलों चला जाता हूँ मैं तन्हा तमाम रात ।
ये उम्र ए दराज़ और तामीर ए इमारतों की ख्वाहिश ,
गोया आशिक़ तो खुद की मीनारों में बस किरायेदार हुआ करते हैं ।
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