तहज़ीबें तख़ल्लुस ए यार में खो गयीं one line thoughts on life in hindi,
तहज़ीबें तख़ल्लुस ए यार में खो गयीं ,
नज़रें बियाबान अश्क़ों के खार पत्थर के हो गए ।
बहुत मुद्दत के बाद मौत मेहबूब हुयी है ,
दो पल चैन से इसके आगोश में सो लेने दो ।
इब्न ए इंसान से शक्ल मिलती है सबकी,
भीड़ में कोई इंसान नहीं मिलता ।
एक बस्ती थी इब्न ए इंसान के नाम की ,
सुना है अब वहाँ इंसान की शक्ल में हैवान रहा करते हैं ।
आदम ए सूरत को देख कर प्यारे ,
सीरत ए गुर का अंदाज़ा न लगा ।
वो जो थे बच्चे बड़े मासूम बराबर के हो गए ,
सूखे साख के पत्तों से ज़र्ज़र से हो गए ।
कली कली गुंचा ए नज़ाक़त के सदके ,
ये मेरी एक नज़र जान ओ जिगर तेरी अदा के सदके ।
यूँ बेहयाई बरस रही लब से तबस्सुम बनकर तेरे ,
इसे मौसम ए नज़ाकत समझूं या मोहब्बत के सर इल्ज़ाम लगा दूँ ।
मेरे इश्क़ की सहादत वही जाने ,
जो बेइंतेहा किसी पर जान छिड़कता हो ।
पलकों से कोहिनूर तरासने वाले ,
कोई बेबहा पत्थर सा दिल में अटका है ।
इंसान की कोई बख़त ही नहीं ,
हर दौर ए वक़्त में शहर भर में बस सिक्के चला करते हैं ।
न रहे ज़ख्मों में मरहम रखने वाले ,
खार भरी आँखों को बस पलकों से मोती चुनना है ।
कुछ लफ्ज़ हैं मोतियों से सम्हाल कर रखे थे मैंने,
वक़्त बेवक़्त बेबहा सुकून देते हैं ।
बात दिल की अना पर जा अटकी है ,
वरना इश्क़ भी बेरहम कम न था ।
बड़ी ख़ामोशी से धड़कनों की दास्तान सुनो ,
इश्क़ का हाल ए दिल लफ़्ज़ों में बयानी नहीं होता ।
इतना भी न बदल ऐ ज़माना ए संगदिल ,
वक़्त का मारा है मोहसिन कहीं खुदा ही न बदल जाए ।
वो नज़रों से इश्क़ ए बंदगी करता है ,
मेरे मेहबूब ए ख़ुदा की हर अदा क़ातिल है ।
जलती रेत् पर मिलती है शबनम बनकर ,
तू हर रोज़ दुआ में मिलती है मोहब्बत बनकर ।
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