सियासत के शेयर मार्केट में सिक्के उछलते हैं funny shayari,
सियासत के शेयर मार्केट में सिक्के उछलते हैं ,
ये शहरी अवाम के लिए बस नहीं खासम ख़ास के लिए चलते हैं ।
सत्ता के गलियार में ख़ारों पर फूल खिलते हैं ,
जब बिकती हैं कुर्सियां सियासत का व्यवसायीकरण कर दो ।
सियासत गेम हैं इन्वेस्टमेंट का ,
दांव खेलो कौड़ियों का मुनाफा सौ गुना पाओ ।
नेता जी का पता नहीं सहीद ए आज़म फाँसी पर लटक गए ,
बचे खुचे सियासी दुमछल्ले सौ पचास की नोटों से चिपक गए ।
कब तक अंग्रेजी के दल्ले बने एहशान उतारेगे सारे ,
कभी तो मातृ भूमि का क़र्ज़ समझे धरा का ऋण उतारें ।
यहां ज़िन्दगी नागवारा गुज़री ,
लोग तल्खियों में सवाल करते हैं ।
जवाबों में उलझे रहते हो ,
सवालों को तो मौका देदो ।
सो गए वो जो रात के परिंदे थे ,
दिन के उजालों को सवालों की मायूसियों ने घेरा है ।
एक सवाल बनके नज़र रहती है ,
हट जाए ज़ुल्फ़ें रुख़ से सारे जवाब मिल जाएँ ।
ज़बान खामोश नज़र में जुम्बिश ,
जनाब ए फितरत में सवाल नज़र आने लगे ।
हर एक जज़्बे की हाज़िर जवाबी भी होती ,
सवाल गर कायदा ए कानून तक होता ।
दरमियान फासले बढ़ गए इतने ,
हमने पूछा नहीं उसने जवाब देना भी मुनासिब न समझा ।
क्या कहोगे उसको जो मुंसिफ था मेरा ,
अब भी मिलता है मुझसे सवाल बनके मिलता है ।
शहर ए मुंसिफ वाला जहान कहाँ पर बसता है ,
जहाँ भी रहता होगा बस अंधेरों में निकलता होगा ।
रंगत बदल गयी है तक़ाज़ा ए उम्र से ,
चेहरे की झुर्रियां भी तज़ुर्बा दे कर के ही गयीं ।
नीलम पन्ना गोमैद मोती चाहे पहनो पुखराज ,
मूगा माणिक भी रोक सके ना जब काल का ग्रास बनाये यमराज ।
पेश आती हैं तेरी बातें रुक रुक कर ,
तू कभी ख्यालों में भी रूककर के सलीके से पेश आता नहीं ।
उठती शायरी का फलसफा है हो गर इश्क़ का धुआँ भी ,
गोया हवा को पुरज़ोर परवाज़ मिलना चाहिए ।
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