चाक ऐ जिगर की खिदमतें गवारा न थी उनको romantic shayari ,
चाक ऐ जिगर की खिदमतें गवारा न थी उनको ,
अब टुकड़ो को कह रहे हैं तस्तरी में सजाइये ।
उफ़ तेरी नज़रों की गुफ़्तगू तेरी हाज़िर जवाबी ,
कभी मैं नहीं टिकता कभी तुझ पर मेरी नज़र नहीं टिकती ।
तबीयत मचल गयी किस नाज़नीन ए शोख से,
लगता है दिल ए नादान कम बर्बाद हुए चिलमन की ओट से ।
इश्क़ में बर्बाद नमूना पेश ए ख़िदमत है ,
तुम किस गुमान ओ अदा में मसरूफ हुए फिरते हो ।
इस अदा से मचलता है दिल में तूफ़ान रह रह कर ,
साहिलों पर लाके कश्तियाँ डुबोना चाहता हो जैसे ।
इस अदा से मत पूछो बोझ लादूँ उम्र ए कमसिन पर ,
इश्क़ ए ख्वाब के पलछिन भी ताउम्र दर्द देते हैं ।
अदाएँ सारी वो बाँकपन वाली ,
तेरी गलियों में बिखरी थी तेरे जाने के बाद ।
कहानियाँ घूम जाती हैं मंज़र बन बन के ,
दास्तान ए लैला मजनू होता तो कदम दर कदम आगे बढ़ा देते ।
कभी किसी माहौल में ढल जा तो अदा कह दूं ,
कभी फ़िज़ाओं में घुली शबनम सी पिघल जा ग़ज़ल कह दूं ।
मंज़िलें हैं गुमसुदा तो क्या हुआ ,
मील के पत्थर से अदावतें आज भी हैं ।
अधरों पर लटकते हैं अदा बन बन के ,
नाज़ ओ नख़रे अदावतें वो सारी भोलेपन वाली ।
इस अदा से अलविदा न बोलो हमको ,
तेरे हर नाज़ ओ नखरों को सर आँखों पर बिठा कर झेला है हमने ।
राह ए उल्फ़त में दोनों की दास्ताँ अपनी अपनी थी ,
बस किरदार कहीं मिल गए होंगे रफ़्तार कहीं मिल गयी होगी ।
यूँ ही कोई किस्सा छेड़ देता है जब ,
तेरी दास्तान से एक और क़िरदार जोड़ देता हूँ तब ।
मेरे वज़ूद में तू अब भी कहीं है की नहीं ,
मेरी दास्तान तू मुँहज़बानी में कहे तो बयान कर ।
दिन गुज़ार देते हो लफ़्ज़ों के पीछे ,
कभी सदियों से खामोशियों में छुपी दास्तान को भी समझो ।
pix taken by google ,