सरहदों पर वतन के किस्से बहुत चलते होंगे 140 words shayari ,

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सरहदों पर वतन के किस्से बहुत चलते होंगे 140 words shayari ,
सरहदों पर वतन के किस्से बहुत चलते होंगे 140 words shayari ,

सरहदों पर वतन के किस्से बहुत चलते होंगे140 words shayari,

सरहदों पर वतन के किस्से बहुत चलते होंगे ,

चलती होगी पनघटों की ठिठोलियाँ

 

माँओं को लोरियों के गीत भी चलते होंगे ,

तबा पर दिल कभी तो दूध भी जलते होंगे ।

 

शहद के छत्तों से टपकती सीरे सी बूदें ,

सिकती होगी चूल्हे में कहीं मक्के की रोटी

 

सर्द की रातों में दिलों पर यादों की कांगड़ी टांग के चलते होंगे ।

 

होगा सब जैसा वहाँ भी ,

छुटपन की यादें अल्हड़ जवानी के हिचकोले

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बुढापे में खांसती ,

टूटी खाट के झूले के झूले ।

 

बस हम नहीं होंगे ,

वो बच्चों का पलंग में झूलना वो किलकारी का गूँजना

 

होगा मगर सब माँओं के लालने कुछ बेवाओं का सजना नहीं होगा ।

 

क्यों खामोश ये मंज़र ,

वतन की सल्तनतें दोनों

बुझे कुछ दीप तो दिल उनके भी जले होंगे ।

 

जला होगा घरोंदा घाँस तिनको का ,

तो कुछ महले दो महले ठाठ से अब भी तने होंगे ।

140 words shayari 

सियासत खेलती है चाल मुर्दों पर ,

इसे बस काम अपना हांकना आता है ज़हरीली दलीलों पर

 

बहुत अब जल चुके दिल जलने थे जिसने जलाये ।

 

बुझा कर जलती सारी बत्तियाँ ,

सूरज के उजालों से सवेरा बनाएं

 

हो गयी ज्योनार आँगन भर गया ,

दिल के कोने कोने में बिछोना बिछ गया ।

 

हो तलब उसका नशेमन जो नशे में चूर हो ,

महफ़िल ए रानाइयाँ में गम बयानी बदस्तूर हो ।

 

एक करके एक आएँ , हाल ए दिल अपना सुनाये ।

 

जो करे तिल भर की बेईमानी,

दुखड़ा न उसका क़बूल हो ।

 

रात गुज़रे ठाठ गुज़रे हर पुरानी बात गुज़रे , हो रहा ओझल सवेरा ।

 

दरमियानी मयार से दो कदम आगे शहर है ।

 

लोक लो छत कूंद के आँखें मूँदे ख़्वाब चक्खो सुर्ख सफक सी धूप के ।

 

पत्थरों के वीराने शहर में,

दिल मेरा कच्चा मकान I

 

मिटटी के गिलावे की दीवारें ,

गीले बुरादे की सिगड़ियों में सुलगते से मेरे अरमान

pix taken by google