शहादत ज़ाया नहीं जाएगी patriotic poetry,
शहादत ज़ाया नहीं जाएगी वतन पर मिटने वालो की ,
सहीदों ने लहू से ख़ाक की फसलों को सींचा है ।
कफ़न में चैन से सोती नहीं रूहें ,
वतन की हिफाज़त अभी और क़ुर्बानी माँगती है ।
धरा गर है सुसज्जित पिपासा रक्त से बुझ कर अधर की ,
गूँजती हैं वीर गाथाएँ रज रज से हुंकार भर के ।
बिना लुक़मा के फाख्तों में रात गुज़रेगी ,
रसद का माल सियासियों में बँट गया शायद ।
बुजुर्गियत आई नहीं वसीम ,
मैं अभी दिल से बच्चा हूँ ।
इंसान में इंसानियत तलास करता हूँ ,
हर एक लफ्ज़ में मोहब्बत के जुमले की बात करता हूँ ।
इतनी नफरत ज़माने में कैसे पाल रखी है ,
जब वजूद ए इंसान खुद के बस में नहीं है ।
लख्त ए जिगर हथेली में सजाकर ,
निकले हैं वीर जियाले शहादत का सेहरा बनाकर ।
निज़ात मिल जाये तो ज़माने के कारोबार करूँ ,
तू मोहब्बत का हलफनामा ही तरदीद कर दे ।
जब भी आया बेशुमार आया ,
तेरे ख्यालों का ख्याल रूबरू तेरे ख़ूबरू आया ।
बुझती है साहिल की सूखी रेतों से ,
प्यास समंदर की गहराईयों से गहरी है ।
सागर से साहिल को चूमती लहरें ,
अपने एक क़ुनबे से बग़ावत कर रही हो जैसे ।
रात के सन्नाटे में हादसा ये ज़बरदस्त हुआ प्यास आँखों में जगी ,
गोया फिर सारी रात हम सोये नहीं ।
हमने देखी है साहिल को चूमती लहरें ,
क्या दरियाओं में अब भी प्यास बाकी है ।
प्यास ही तो है ज़िन्दगी सारी ,
क्यों कर कौन तन्हाइयों का कारोबार किया करता है ।
जहाँ में मोहब्बतों के बहुत दौर चले ,
कभी हम चले तो कभी ज़माने में हमारे चर्चे पुरज़ोर चले ।
थक के सो जाती है सूखे बरगद के तले ,
ख्वाहिशें बूढी अब रात के साथ जवान नहीं होती ।
गम ए गर्दिश में भी रक़्स कर जाए बन्दे का दिल ,
मोहब्बत में ज़हर पीने का हुनर रखता है ।
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