नैनों की बतियाँ दिल को दिल की पतियाँ देती हैं romantic shayari,
नैनों की बतियाँ दिल को दिल की पतियाँ देती हैं ,
तुम ज़बान ख़ामोश रखो हिलती डुलती लबों की पंखुड़ियाँ राज़ सब बोल देती हैं ।
एक ख़्वाब सजा तू अंतर मन में तू नौका मैं पतवार बनू ,
पुरज़ोर लगा पूरे बल से मैं स्वप्नों का व्यापार करूँ ।
अंतर मन की अभिलाषा है एक द्वन्द द्वन्द सा उठता है ,
कोई राग द्वेष संताप न हो कलुषित मन से कोई पाप न हो ।
हिंडोलों तक पहुँचने के लिए पथिक राह बहुत है शोलों की ,
गर थाम जिगर हुंकार भरे न देख सोच बर्फ के गोलों की ।
तन्हा रात का ख़्वाब कातते रहना तेरी कमी होने नहीं देता ,
चाँद का मुझे ताकते रहना दिल में नमी होने नहीं देता ।
बिन तेरे बेरंग हैं सब रंग दाग़ ए दामन पर रंगरोगन है ,
लोग देते है दाद तेरे बाद हर नूर बेनूर होने का ।
वो तेरा हमारी गलियों से दबे पाँव जाना ,
फिर मुड़ना देख कर मुझको लौट आना ,
बहुत खलता है दिल को अब तेरा कभी न लौट कर आना ।
ज़माने भर के मोहब्बतों का क्या ठेका लेके रखे हैं हम ,
थक के चूर हो गया हूँ मैं ये इश्क़ ए कारोबार करते करते ।
रहनुमा बनकर जो साथ तेरे चलता है ,
नूर है ख़ुदा का जिसे साया तू समझता है ।
मत दाद दे मुझको तक़दीर का मारा हूँ ,
आया नहीं खुद जहन्नुम ए दुनिया में ,
कहने को खुदा का हमसाया हूँ ।
सोचता हूँ कभी कविताओं को बाहर घुमाऊँ टहलाऊँ ,
गोया क़ब्रों में बड़ा सुकून मिलता है ज़ख़्मी रूहों को ।
नाराज़ हो तो अपनी यादों से कह दो बिस्तर बदल दें ,
गोया अब एक साथ मुमकिन नहीं रूठे रहकर हम बिस्तर भी हो जाना ।
ख़ुशी क्या गई संग खुशियाँ भी रुख़्सत हो गयीं ,
कितनी खुशियां थी जब कॉलेज में संग पढ़ती थी दोनों ।
क्या तज़ुर्बा है इश्कबाज़ी का ,
मोहतरमा तो इश्क़ की पाठशाला में आप तो हमारी भी खाला निकली ।
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