मिजाज़ ए यार सरीखे भी होंगे शैदाई 2line attitude shayri,
मिजाज़ ए यार सरीखे भी होंगे शैदाई ,
जो महज़ नज़रों से क़त्ल ए आम मचाये न होगा एकौ हरज़ाई ।
यूँ तो गुंचा ए गुल और चमन और भी हैं ,
सारे अंजुमन के नश्ल ए गुल में तेरे गज़रे वाली ज़रा सी बात नहीं ।
दौर ए मुफ्लिशी में भी ,
मैं दीदार ए महज़बीन रहा ख़िजां के मौसम में भी कारवां अपना हरफ़न मौला और ताज़ातरीन रहा ।
ज़हन में मिजाज़ ए कारवां रखते हो ,
गोया दिलों में तफ़्तीश ए ज़ौक़ भी रखना ।
इश्क़ ए दरूं हक़ीक़त का कुछ भी नहीं ,
ये कारवां ए मोहब्बत तो बस फ़लसफ़ों सा बहता है ।
दुनिया रैन बसेरा है सब ठाठ धरा रह जायेगा ,
दो दिन के संगी साथी हैं हंस फुर्र से उड़ जायेगा ।
हुजूम में कारवां बनाकर चलोगे तो महफूज़ रहोगे ,
गोया अकेले लोग तन्हा मरने भी नहीं देते ।
ज़िन्दगी में सबको कारवां की तलाश होती है ,
राह ए मंज़िल में कोई एक हमसफ़र के लिए नहीं ठहरता ।
झुकी पलकों से इशारे वो हुए ,
किसी का कारवां बिछड़ा किसी के घराने उजड़ गए ।
लोगों से ग़र कारवां बनता ,
लोग भरी भीड़ ने तन्हाई महसूस न करते ।
यहाँ चश्म ए चरागों की दरक़ार किसे ,
हम तो हम तो अंधेरों का कारवां लेकर के सफ़र करते हैं ।
जश्न ए ग़ालिब के सुख़नवर ,
मीर तक़ी मीर और सूफ़ियाना अंदाज़ ,
राह ए मुफ़लिश में मैं अकेला हूँ कहाँ ।
ज़माने में कौन किसका कहाँ होता है ,
हर शख़्स भीड़ में अकेला तन्हा खड़ा रोता है ।
सुर्ख आँखों की दिल फ़रेबी तेरी ,
साथ चलता है जिसके कम से कम उसी का होके चलता ।
दिल ज़ख्म लेकर के जीने में आमादा है ,
जिस्म कहता है किसी ठौर ठहर है ही नहीं ।
ये तेरे इश्क़ की रहनुमाई है जो ,
शब् ए बज़्म साद ए दिल को नासाद किया करती है I
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