यादों का बवण्डर रवां रवां सा है romantic shayari,
यादों का बवण्डर रवां रवां सा है ,
आज फिर ग़म ए इश्क़ में जिगर धुंआ धुंआ सा है ।
मौसम ए दौर तो बावस्ता है ,
बारहां हाल ए जिगर ज़ौक़ ए उल्फतों से भी खस्ता हैं ।
हिंदी की चन्द्र बिंदी उर्दू के अल्फ़ाज़ ,
लख़्त ए जिगर है हिंदुस्तान ,
हर शख़्स को मादर ए वतन पर है नाज़ ।
हाल ए दिल निकाला लहू तर कलेजा फिर खंज़र रख दिया ,
गोया वो समझे खाली इज़हार ए मोहब्बत की खातिर खून खराबा कर दिया ।
हर शख़्स यहां घायल हर शख़्स है कमाल ,
गुमनाम सी मोहब्बत बदनाम से किरदार ।
चलते हैं चर्चे ख़ूबरू ए बाग़ ए बाहर में ,
उठती बयारों में खून ए जिगर धू धू करके जला सा है ।
जिगर में ग़रूर ए इश्क़ बारहां रखते ,
राह ए मुफ्लिशी में न ताउम्र तन्हा सफ़र करते ।
ज़िन्दगी गुनाह ए क़बूल नामा है ,
जिगर में मौत तलक बोझ भी हंगामा है ।
आँखों ही आँखों में जब इज़हार हुआ ,
दिल ए नादान फिर धड़कनो तलक क्यों बेक़रार हुआ ।
इज़हार ए मोहब्बत और उफ़ सुर्ख लबों की नुख़्ताचीनी ,
झुकी पलकों से क़बूल ए इश्क़ कर लिया बस कर लिया ।
क़बूल ए इश्क़ होगा या नाक़ामी मिलेगी ,
इज़हार ए मोहब्बत के बाद मंज़िल ए क़ामिल मिलेगी ।
बारिश ने बढ़ा दी है जलते लबों की प्यास ,
या खुल के तू इन्कार कर या खुल के तू इक़रार ।
हमने देखे हैं सनम ज़ौक़ ए मोहब्बत वाले ,
न कोई इज़हार ए मोहब्बत बस ठंडी आहें भरने वाले ।
आईन ए इश्क़ की फ़रमाईश है ,
गर इश्क़ है तो लबों से इज़हार ए इश्क़ की गुज़ारिश भी है ।
इज़हार ए शेर होते हैं फिर हलाल ए शेर होते हैं ,
दरूं ए इश्क़ की हाज़िर जवाबी में बस आशिक़ ही ढेर होते हैं ।
दिल में ख़ुलूस ए इश्क़ चश्म ए पैमाना नज़र करता ,
इज़हार ए मोहब्बत में लख़्त ए जिगर का नज़राना पेश ए ख़िदमत करता ।
pix taken by google