नीले आसमान का अपना किस्सा होगा romantic shayari ,
नीले आस्मां का अपना किस्सा होगा ,
झील पर चाँद उतर जाना तलाश ए इश्क़ का हिस्सा होगा ।
सज़र ने पाल रखे हैं शब् ए माहताब कारिंदे कई ,
सेहर होते ही नाप लेते हैं नीले आस्मां कई ।
जल रहे थे कई चराग़ फलक को तकते हुए ,
की कुछ परिंदे भी उतरेंगे अभी राह से भटके हुए ।
ज़मीन है ज़र्द फ़सल ए गुल बेरंग खिज़ा है ,
कोई मुफ्लिश जलते आफ़ताबों सा फलक को तकते खड़ा है ।
झुलस रही है ज़मीन दो बूँद प्यास की ख़ातिर ,
किसी को बेशुमार ए इश्क़ मिला कोई रह गया तलाश ए अब्र ओ आस्मां की ख़ातिर ।
किसी शाम ए बज़्म में फिर मुख़ातिब ए ग़ज़ल हो ,
होठों पर तबस्सुम रंग ओ बू का गुलपोश अंजुमन हो ।
ये हक़ तो मुझको भी है ऐ जान ए ग़ज़ल ,
तुझको मोहब्बत लिखता जुदा हो रंग ज़माने से ऐसा कोई हुनर रखता ।
ज़मीन से फलक तक बाँट रखे हैं नए रंगों में परचम कई ,
ख्याल ए तकियानूसी की बुज़ुर्गियत से क्या अमन की उम्मीद न थी ।
सात समंदर की स्याही करके सुबह से शाम तलक ,
फलक पर आफताब ए हुश्न का अक्स बना लेता हूँ ।
बादलों में चाँद तारों की अटखेलियां ,
चमन के गुंचे गुंचे में गुलों की रंगरलियां ।
हुश्न ए महताब ने सजा रखे हैं आफ़ताब कई ,
लब पर काला तिल चेहरे पर बिखरे बाल कई ।
शब् ए फुरक़त ज़मीन पर उतर आया है आज,
चाँद यूँ ही सुर्ख सुरमे से क़त्ल ए आम मचाएगा आज रात कई ।
तमाम जश्न ए दस्तकारी और महफ़िल ए रौनक ,
जले बुझे से चरागों बग़ैर सूना है ।
सजा के रखे हैं शब् ए माहताब पर भी राज़ कई ,
बुरी नज़र से भी बचा लेते हैं काले दाग़ कई ।
किसकी यादों ने तुझको जला डाला है ,
शब् ए फुरक़त में आँखों के नीचे काला धब्बा बना डाला है ।
pix taken by google