शराब और शर्मा जी a short motivational stories in hindi ,
शराब और शर्मा जी , a short motivational stories in hindi हमारी कहानी के पात्र और घटनाएं पूर्णतः
काल्पनिक हैं ऐसे किरदार हर गली कूचे में दो चार देखने को मिल ही जाते हैं । अगर किसी भी व्यक्ति से ये किरदार
मिलान खाते पाए जाते हैं तो ये महज इत्तेफ़ाक़ समझा जायेगा ।
शर्मा जी और वर्मा जी कहने को सरकारी कर्मचारी हैं दोनों मगर मजाल है की इनकी तनख्वाह में ज़रा भी दाग लग जाए
, इनकी सिर्फ एक धैना है राम नाम जपना पराया माल अपना फ्री का लूट खसोट का जितना माल मिल जाए अंदर करते
चलो , शर्मा जी और वर्मा जी पेशे से सरकारी ड्राइवर है , लेकिन नौकरी में अनियमितता के चलते इन्हे ट्रैक्टर चलाने के
लिए के लिए ही नियुक्त कर दिया गया , इतने से ही आप समझ गए होंगे कितने चालू हैं दोनों मजाल है इनके रहते
कैंपस के अंदर कोई पेट्रोल गाड़ी आ जाए और इन्हे कम कीमत में पेट्रोल दिए बिना चली जाए , ऐसा कदापि नहीं हो
सकता था क्यों की अन्य अधिकारीयों के ड्राइवर्स भी इनकी शरणागत थे , ये जिस किसी गाड़ी से पेटोल निकलवाते बदले
में थोड़ा बहुत पैसा दूसरे ड्राइवर को देते ।
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अब आप सोचेंगे की ये इतना पेट्रोल करते क्या थे , पहले तो खुद की बाइक में भरते जो बच जाता उसे बेंचकर शाम को शराब पीते ,
अब क्यूंकि इन्हे रोज़ शराब पीनी होती थी इसके लिए ये देशी शराब पीते थे , ताकि दूसरे दिन के लिए भी बजट
बना रहे , बात उन दिनों की है जब इनकी ड्यूटी एक सरकारी प्लॉट जोतने में लगाई गयी , झमाझम बारिश हो रही थी
गाँव खेड़े का इलाका था , ट्रैक्टर से उतरते समय कल्टीवेटर का कुसिया शर्मा जी के पाँव में लग गया , बारिश तेज़ थी
शर्मा जी ने ध्यान नहीं दिया मामूली मलहम पट्टी किये दो पैग मारे सो गए , सुबह उठे काम पर चले गए , बारिश चालू
थी इस तरह हफ़्तों का टाइम बीत गया चोंट सूखने का नाम नहीं ले रही थी , मामला सीरियस हो गया शर्मा जी ने छुट्टी
ली हॉस्पिटल में दिखाया डॉक्टर ने बोला ब्लड टेस्ट करना होगा अब तक तो घाव ठीक हो जाना चाहिए था , ब्लड टेस्ट
की रिपोर्ट आई रिपोर्ट में शुगर की अधिकता पायी गयी , डॉक्टर ने बोला शराब छोड़ दो नहीं तो घाव कभी नहीं भरेगा ,
मगर शर्मा जी मानने वाले कहाँ थे , और वर्मा जी तो मित्र थे ही शराब लाकर देने वाले , समय बीतता गया , आखिर
वर्मा जी भी कब तक शराब पिलाते , वर्मा जी को ड्यूटी में दूर जाना पड़ा जिससे उनका रोज़ आना मुश्किल हो गया था ,
पैर में एक बार फिर दर्द बढ़ा डॉक्टर ने कहा की पैर काटना पड़ेगा , डॉक्टर साहेब तो शर्मा जी से भी बड़े पियक्क्ड़ निकले
पैर काटना था बांया काट दिए दांया , अब शर्मा जी एक पैर से हो गए थे आखिर शराब लाकर दे कौन बेटे से बोलते तो
बेटा नाराज़ होता बीवी चिल्लाती अलग से , शुगर बढ़ा था ही दूसरे पैर के काट दिए जाने की एक और चिंता शर्मा जो को
दिन प्रतिदिन खाये जा रही थी , जेब में तनख्वाह के अलावा कुछ नहीं आता था वो भी बीवी को घर चलाने के लिए देनी
पड़ती थी , ज़बरदस्त डिप्रेशन के चलते शर्मा जी को एक दिन आया हार्ट अटैक और शर्मा जी इस दुनिया को अलविदा कहते हुए चले गए ,
बचे वर्मा जी जब उनको पता चला की शर्मा जी तो स्वर्गसिधार गए , उनसे बर्दास्त नहीं हुआ और वो देररात तक शराब
पिए फिर जाने क्या हुआ की सुबह घर में फांसी पर लटकती उनकी लाश मिली ।
शर्मा जी के तो बेटे बाप की जगह अनुकम्पा नियुक्ति मिल गयी , वर्मा जी का तो आगे पीछे कोई था भी नहीं ।
इतिशिद्धियेत
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