मेरी माँ maa shayari ,
मेरी माँ तेरे लिए तो मैं अब भी तेरा बच्चा ही हूँ न माँ ,
कूंद कर चाहे जितना आसमान छू लूँ मैं माँ ।
वो मेरा तुतला के बोलने में तेरा तोतली बन जाना ,
तेरे पुचकारने में मेरी अब तक मासूम मुस्कुराहटें छुपी हैं माँ ।
मेरे नन्हे से हांथों ने तेरी उँगलियों को पकड़ कर चलना सीखा ,
मैं कैसे तेरे साये से भागकर दूर चला जाऊं ।
मैं जब भी लड़ झगड़कर घर आता था पापा डाँट देते थे ,
तू हर दम मुझको बढ़कर अपनी बाहों में छुपाती थी न माँ ।
नहीं देखा कभी तूने मेरे बदन की धूल मिटटी को ,
लपक कर मुझको अपने आँचल से तू हमेशा पोंछ देती थी ।
जजक जाता था बचपन में कभी मैं ग़र ख्वाब से कोई ,
तू मुझको थपकियाँ देते फिर न सारी सोती थी ।
मुझे वो याद है बचपन का तेरा लोरियां गाना ,
पानी भरी थाली की पेंदी में चाँद तारों का दिखलाना ।
मैं तेरा ही अक्स हूँ ,
मेरे हर रूप ओ रंग में तेरा ही नक्स है न माँ ।
सिसकियों में गुज़रती रातें मैंने सुनी है तेरी ,
तू अपना ग़म सबके सामने ज़ाहिर कभी करती नहीं है माँ ।
तेरी सुबह कब हुयी किसी ने देखी नहीं ,
मेरी तो हर सुबह ओ शाम तेरे मुस्कुराते चेहरे से है न माँ ।
ज़िन्दगी की तंग गलियों में मैं जब थक के चूर होता हूँ ,
तेरे साये में ही मिलता है जन्नत का सुकून मेरी माँ ।
कहीं कुम्हला न जाऊं ज़माने की धूप में ,
बनके साया तेरी ममता का आँचल हमेशा साथ होता है ।
दम घुटता है कभी जब सोच लेता हूँ मैं हूँ तन्हा ,
फिर बेफिक्र हो जाता हूँ घर में है न मेरी माँ ।
तेरे हर लम्स में ममता छलकती है ,
माँ केवल लफ्ज़ नहीं ममता का एहसास भी है माँ ।
pix taken by google
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