तह ए दिल में छुपा रखी थी तस्वीरें तेरी romantic shayari,
तह ए दिल में छुपा रखी थी तस्वीरें तेरी ,
हुयी ऐसी ग़मों की बारिश फ़िर की हर जज़्बात ए बयानी को शीलन लग गयी ।
बेजबानी में तहजीबें बयाँ करती हैं ,
तस्वीरें बीते हुए कल का आइना हो जैसे ।
रात भर होती है गुफ़्तगू तेरी तस्वीरों से,
क्या सुनाती नहीं ये हाल सुबह तुझको मुंहज़ुबानी में ।
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रूबरू मेरे तू खामोश है जितना ,
तेरी तस्वीर सारे जज़्बात बेबाक़ कहती है ।
तुझसे मोहब्बत की दिल ने भी क्या खूब सज़ा दी ,
ज़माने को भुला दिल में तेरी तस्वीर बना ली ।
तू पास होक भी मेरे पास होता नहीं ,
तेरी तस्वीर से कैसा गिला शिक़वा ,
वो तो हर पल मेरे आस पास होती है ।
तस्वीर ए वतन की सियासत ने ऐसी बिगाड़ी,
जो हाँथ साथ इंक़लाब को उठे उनको दो मुल्क़ों में बांटा ।
दिल में बर्बादियों का जश्न मनाने का ख़ुलूस ही हो गर ,
खिज़ा के मौसम में गुलों से तस्वीर रंगीन बनाए कौन ।
तेरी तस्वीरों को बेंचने का ग़र हम कारोबार करते ,
तुझ बिन तड़पते खून ए जिगर का हम क्या करते ।
वक़्त बदला बदलते वक़्त की तहरीरें बदलीं ,
वक़्त के साथ न तू बदला न तेरी तस्वीरें बदलीं ।
संगदिली ही तेरी फ़ितरत है ,
अच्छा है तेरी तस्वीर को ये हुनर नहीं आया ।
तह ए दिल में छुपा रखी थी तस्वीरें तेरी ,
हुयी ऐसी ग़मों की बारिश फ़िर की हर जज़्बात ए बयानी को शीलन लग गयी ।
अभी जले हैं अरमान राज़ ए दिल के ,
ख़ाक ठण्डी कर लूँ फ़िर तस्वीर तेरी बनाऊँगा ।
हमने तेरी तस्वीरों में हया सी देखी है ,
नज़रें मिलें तो पलकें झुका सी लेती हैं ।
दिल जला के रख दिया था मैंने ,
तेरी तस्वीर रुला कर के आग बुझा के गयी ।
जब समेटता हूँ गुज़रे वक़्त को मैं ढेरों में ,
तिनका तिनका तेरी तस्वीर टुकड़ों में नज़र आती है ।
रक़म रक़म की नुमाइश रक़म रक़म की रक़कासा ,
रक़म रक़म की तस्वीरों का रूप एकदम सादा ।
जितने चेहरे थे सब अलग निकले ,
तेरी तस्वीर के टुकड़े तुझसे कम निकले ।
तू तस्वीर में ही हँसती रोती अच्छी लगती है ,
तुझसे सामने क्यों रूठना मनाना नहीं आता ।
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